
लखनऊ, 20 दिसंबर 2025. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने एक कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गॉर्ड ऑफ़ ऑनर देने वाले बहराइच के एसपी आर एन सिंह को तत्काल निलंबित करने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार जानबूझकर पुलिस अधिकारियों के सहयोग से संवैधानिक मूल्यों को कमज़ोर कर बहुजन विरोधी मनुस्मृति को राजकीय कार्य का आधार बनाना चाहती है.
जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पुलिस और सेना संविधान के तहत संचालित बल हैं. जिसका प्रोटोकॉल निर्धारित है. वो सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को ही गार्ड ऑफ़ ऑनर दे सकता है. किसी निजी व्यक्ति को गार्ड ऑफ़ ऑनर देकर बहराइच एसपी ने संविधान की अवमानना की है. इसलिए योगी सरकार उन्हें तत्काल पद से हटाए. उन्होंने कहा कि जब इसपर सवाल उठा तो डीजीपी राजीव कृष्णा ने इसे तकनीकी मुद्दा बनाकर एसपी की संविधान विरोधी अपराध को डाइल्यूट करने के लिए उन्हें पुलिस परेड ग्राउंड के अनाधिकृत इस्तेमाल पर तलब किया न कि निजी व्यक्ति को सलामी देने पर.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बहराइच एसपी आर एन सिंह की यह सफ़ाई कि उन्होंने कथावाचक को मानसिक तनाव और अवसाद से पीड़ित जवानों के परामर्श, ध्यान और योग के लिए बुलाया था पुलिस की धर्मनिरपेक्ष छवि को धूमिल करने वाला है. क्योंकि इसके पीछे यह सोच दिखती है कि एसपी ने पुलिस बल को एक धर्म विशेष का सैन्य बल मान लिया जबकि पुलिस एक सेक्युलर बल है. उन्होंने कहा कि अगर बहराइच पुलिस के जवानों में मानसिक तनाव और अवसाद की समस्या है तो इसके लिए एसपी को मनोचिकित्सकों को बुलाना चाहिए था ना कि किसी कथावाचक को.
उन्होंने कहा कि अधिकतर कथावाचक बिना पैसे के कार्यक्रम में नहीं जाते इसलिए अगर पुंडरीक गोस्वामी को सरकारी पैसे से कोई भुगतान हुआ हो तो उसे वापस लिया जाना चाहिए और खर्च का पैसा एसपी की तनख्वाह से काटी जानी चाहिए.
कांग्रेस नेता ने कहा कि अधिकार कथित संत संविधान के बजाए धार्मिक शास्त्रों की सर्वोच्चता की वकालत करते हैं. इसलिए ऐसे लोगों को राज्य मशीनरी द्वारा स्पेस दिया जाना लोकतंत्र को कमज़ोर करता है. इसमें अधिकतर आरक्षण विरोधी और साम्प्रदायिक मानसिकता के होते हैं. पुलिस बल पर इनका प्रभाव भी पुलिस को मुस्लिम, दलित और पिछड़ा विरोधी बना देगा. जिसके कारण इन तबकों के पुलिस उत्पीड़न में वृद्धि होगी.
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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