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वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

 



नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है.

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्वक इकट्ठा होने का अधिकार देता है. 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई अहम फैसलों में कहा है कि विरोध करने के अधिकार का सम्मान किया जाना और उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि इससे लोकतंत्र मजबूत होता है. लेकिन ऐसा लगता है कि यूपी पुलिस मुख्यमंत्री के दबाव में लोकतंत्र का ही गला घोंट देना चाहती है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 2020 के शाहीन बाग में आयोजित सीएए क़ानून विरोधी आंदोलन केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी असहमति दर्ज कराने का अधिकार है. वहीं, 2012 की रामलीला मैदान की घटनाओं के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नागरिकों को इकट्ठा होने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के मौलिक अधिकार को कार्यपालिका अथवा विधायिका द्वारा मनमाने तरीके से नहीं छीना जा सकता.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी की योगी सरकार लगातार सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ़ काम करती आ रही है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान न लेना उसकी भूमिका पर भी संशय पैदा करता है. उन्होंने कहा कि सपा के राज्य सभा सांसद राम जी लाल सुमन के घर पर भाजपा समर्थित हिंसक संगठन करनी सेना के गुंडों ने पुलिस की मौजूदगी में हमला किया. लेकिन डीजीपी की तरफ से हमलावरों पर कोई ठोस कार्यवाई नहीं हुई. वहीं भाजपा और आरएसएस के देश विरोधी साम्प्रदायिक एजेंडे के खिलाफ़ विचार रखने वाले नागरिकों का पुलिस उत्पीड़न करने के लिए संविधान के भी खिलाफ़ चली जा रही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यूपी को पुलिस स्टेट में बदलने की राज्य सरकार की कोशिशों पर ठोस हस्तक्षेप करना चाहिए. 

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