लखनऊ, 5 अक्टूबर 2025. बरेली में मुसलमानों के खिलाफ़ पुलिस
दमन की जांच करने जा रहे विपक्षी नेताओं को रोककर योगी सरकार ने स्पष्ट कर
दिया है कि यह हिंसा पूरी तरह उसके द्वारा प्रायोजित थी. सरकार द्वारा
विपक्ष को अपनी ज़िम्मेदारी से रोकने और मुख्यमंत्री की साम्प्रदायिक भाषा
पर इलाहबाद हाईकोर्ट की चुप्पी भी शर्मनाक है. ये बातें अखिल भारतीय
कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की
215 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि इससे पहले सम्भल में पुलिस द्वारा मुस्लिम विरोधी हिंसा के
समय भी नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं को वहां नहीं जाने दिया
था. यह उस ट्रेंड को दिखाता है जहां पहले पुलिस मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा
करती है. फिर विपक्ष को पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जाता और इस पूरे खेल
में न्यायपालिका आपराधिक चुप्पी साधे रहती है.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार को अपने मुस्लिम विरोधी नैरेटिव में
अब बहुसंख्यक हिन्दू समाज का समर्थन मिलना बंद हो गया है. इसीलिए 'आई लव
मोहम्मद' पोस्टर से किसी भी हिन्दू, सिख, ईसाई या बौद्ध को कोई दिक्कत नहीं
है. इसीतरह 'आई लव गणेशा' या 'आई लव शंकर' के पोस्टरों से भी किसी मुस्लिम
को दिक़्क़त नहीं है. क्योंकि सभी धर्मों के लोग अपने ईश्वर या पैग़म्बर के
प्रति प्रेम दर्शाने के लिए ऐसे पोस्टर लगाते रहे हैं. यही भारतीय संस्कृति
है.
उन्होंने कहा कि
संविधान भी सभी को अपने धर्म और संस्कृति के पालन का अधिकार देता है. इसलिए
पुलिस द्वारा नागरिकों के इस मौलिक अधिकार के हनन पर न्यायपालिका की
चुप्पी जजों को भी कटघरे में खड़ा करती है. इससे जनता में यही सन्देश जा रहा
है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री न्यायपालिका के सहयोग से ही साम्प्रदायिक
माहौल बना रहे हैं. अगर न्यायपालिका सही हो जाए तो मुख्यमंत्री भी सही हो
जाएंगे. क्योंकि देश ने देखा है कि जैसे ही क़ानून का पालन करने वाली
एजेंसियां टाइट होती हैं योगी आदित्यनाथ जैसे तत्व संसद में जाकर रोने लगते
हैं.
शाहनवाज़ आलम कहा कि
कानपुर में 'आई लव मोहम्मद' का पोस्टर किसी हिन्दू व्यक्ति ने नहीं फाड़ा
बल्कि पुलिस ने फाड़ा जो सरकार की मंशा के अनुरूप काम कर रही है. कहीं पर भी
मुट्ठी भर संघियों के अलावा किसी सामान्य हिन्दू ने इन पोस्टरों का विरोध
नहीं किया. इसीलिए मुख्यमंत्री को ख़ुद अकेले अपने पुलिस के साथ माहौल
बिगाड़ने के लिए उतरना पड़ा.
उन्होंने
कहा कि योगी आदित्यनाथ देश के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सत्ता
पाते ही सबसे पहले अपने खिलाफ़ संगीन अपराधों में दर्ज मुक़दमों में ख़ुद को
ही क्लीन चिट दे दिया. अगर उन मुक़दमों में ठीक से विवेचना और जांच हुई होती
तो आज वो अपने वास्तविक जगह पर होते.
टिप्पणियाँ