।अशफाक कायमखानी।
सीकर राजस्थान।
किसान महापंचायत, भारतीय किसान यूनियन, नहर लाओ संघर्ष
समिति एवं चौधरी चरण सिंह ग्रामीण विकास संस्थान के तत्वाधान में नवलगढ़
रोड स्थित महादेव गार्डन में आयोजित प्रेस वार्ता के अपने संबोधन में किसान
महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि समझौता होने के
31 वर्ष के उपरांत भी 31 बूंद पानी सीकर, झुंझुनू, चूरू, भरतपुर को अभी तक नहीं मिल पाया है| जबकि यमुना जल समझौता वर्ष 1994 का है|
अनेक
आयोगों एवं समितियां की अनुशंसाएं होते हुए भी अभी तक "न्यूनतम समर्थन
मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून" नहीं बना है| जिससे किसानों को अपनी उपज
घोषित 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' से कम दामों में बेचने के लिए विवश होना पड़
रहा है| यह सरकारों की किसानों के लिए "खेत को पानी, फ़सल को दाम' के प्रति
संवेदनहीनता दर्शाता है! गांव उजाड़ कर शहर विस्तार की नीति की आलोचना
करने वाले राजनीतिक दल भी इस नीति पर चल रहे हैं|
अतिवृष्टि
के कारण अधिकांश क्षेत्रों में फसल 75% से लेकर l90% तक खराब हो चुकी है|
बुवाई का समय भी समाप्त हो चुका है| यह स्थिति जुलाई के दूसरे पखवाड़े में
ही स्पष्ट हो गई थी| इसके बाद भी सरकारों ने 'प्रधानमंत्री फसल बीमा
योजना' के अंतर्गत किसानों से बीमा प्रीमियम लेना आरंभ रखा| जबकि उस समय
फसल कटाई प्रयोग होना संभव हो गया था| उसके बिना बीमा क्लेम प्राप्त होना
संभव ही नहीं था| भारत सरकार द्वारा बनाई गई बीमा की मार्गदर्शिका के
अनुसार बीमित राशि की 25% राशि का भुगतान कर बीमा क्लेम से किसानों को
वंचित कर दिया जाएगा| यह राशि भी तब दी जाएगी जब 75% से अधिक के खराबी की
रिपोर्ट प्राप्त हो जाएगी| यह किसानों को लूट कर बीमा कंपनियों को मालामाल
करने वाली मार्गदर्शिका है| इसके अतिरिक्त भी 11 अगस्त को किसानों में
बीमा की भुगतान की गई राशि का वितरण भेदभाव एवं पक्षपात पूर्ण है| समान
स्थिति होते हुए भी क्लेम भुगतान समान रूप से नहीं किया गया| जो भुगतान
किया गया वह भी अधिकतर अल्प ही है| जिन किसानों से प्रीमियम 2500 रुपए वसूल
किया गया उनको भी 1500 रुपए से कम की राशि का भुगतान किया गया| दूसरी और
'आपदा राहत कोष' के अंतर्गत अभावग्रस्त घोषित करने की प्रक्रिया में
पारदर्शिता एवं निश्चित मापदंड नहीं होने के कारण भेदभाव एवं पक्षपात बना
रहता है| इसके अंतर्गत असंचित भूमि के लिए एक हेक्टर पर 8500 रूपये तथा
सिंचित भूमि पर 18500 रूपये सहायता राशि देने का प्रावधान है किंतु वह राशि
भी किसानों को प्रदत्त नहीं की जाती है| अनेकों बार स्वीकृति के उपरांत भी
किसानों को उस राशि से वंचित रखा जाता है|
"खेत को
पानी, फसल को दाम, युवाओं को काम" जैसे विषयों के लिए 6 अक्टूबर को
"अन्नदाता हुंकार रैली" जयपुर में निश्चित है| जिसके लिए मुख्यमंत्री एवं
प्रधानमंत्री को संलग्न ज्ञापन प्रेषित कर दिया गया है |
वे
5 सितंबर को दोपहर कटराथल में आयोजित सभा संबोधित करने के बाद जयपुर जिले
की चौमू तहसील के ढोढसर गांव में किसानों से सम्पर्क एवं वार्ता के उपरांत
रात्रि तक जयपुर पहुंचेंगे| उल्लेखनीय है कि इसी रैली के लिए खैरथल-
तिजारा, अलवर, कोटपूतली- बहरोड़, टोंक, सवाईमाधोपुर, अजमेर, ब्यावर, जोधपुर,
नागौर में उपखण्ड मेड़ता सीकर में उपखण्ड श्री माधोपुर तथा जयपुर जिले में
शाहपुरा, दूदू, फुलेरा तहसील, सांभर उपखंड मुख्यालय एवं डीडवाना जिले का
प्रवास पूरा हो चुका है |
पत्रकार
वार्ता में किसान महापंचायत के प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बैरवा , झोटवाड़ा
में धानक्या गांव के पटेल भैरूराम दादारवाल,प्रदेश मंत्री सुंदर लाल
भंवरिया, प्रदेश मंत्री ज्ञान चंद मीणा, प्रदेश संगठन मंत्री गोवर्धन
तेतरवाल, सीकर जिला अध्यक्ष कैप्टन बलदेव यादव, कार्यकारिणी सदस्य मुरलीधर,
किसान मजदूर कामगार जागृति मंच' के प्रदेश अध्यक्ष महेश जाखड़ ,भारतीय
किसान यूनियन के सीकर जिला अध्यक्ष रामचंद्र सुंडा, महासचिव शिवदयाल सिंह
मील, नहर लाओ संघर्ष समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्ति अधिशासी अभियंता भोलाराम
रुलानिया एवं चौधरी चरण सिंह ग्रामीण विकास के अध्यक्ष पूरणमल सुंडा भी
उपस्थित रहे
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