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चंद्रचूड़ के खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट को बाबरी मस्जिद फैसले की समीक्षा करनी चाहिए- शाहनवाज़ आलम

 


नयी दिल्ली, 28 सितम्बर 2025. पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने हालिया इंटरव्यू से साबित कर दिया है कि बाबरी मस्जिद पर फैसला तथ्यों पर आधारित नहीं था. उसे आरएसएस की साम्प्रदायिक राजनीति के एजेंडे को फायदा पहुंचाने के लिए दिया गया था. इसलिए इस फैसले समेत उनके सभी फैसलों की समीक्षा की जानी चाहिए. ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 214 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूर्व भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह अगर उत्तराखंड चारधाम प्रोजेक्ट जिसमें पहाड़ी सड़क की चौड़ाई को 5.5 मीटर से बढाकर 12 मीटर करने की डीवाई चन्द्रचूड़ द्वारा 14 दिसंबर 2021 को दी गयी मंजूरी के फैसले को पर्यावरणीय कारणों से वापस लेने की मांग सुप्रीम कोर्ट से कर सकते हैं तो फिर आरएसएस को ख़ुश करने के लिए बाबरी मस्जिद पर तथ्यों के बजाये आस्था के आधार पर दिए गए फैसले की समीक्षा की मांग भी तार्किक हो जाती है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सिर्फ़ इस तकनीकी बहाने की आड़ में नहीं छोड़ा जा सकता कि फैसला देने वाले जज अब रिटायर हो चुके हैं इसलिए उनके फैसलों की समीक्षा नहीं की जा सकती.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में जिन जजों की नियुक्ति की उनमें भाजपा नेत्री विक्टोरिया गौरी का नाम होना भी इस संदेह को पुख्ता करता है कि उन्होंने आरएसएस से जुड़े लोगों को मेरिट के बजाये राजनीतिक कारणों से जज बनाया हो. इसलिए उनके कार्यकाल में हुई नियुक्तियों की भी जांच होनी चाहिए.

उन्होंने आरएसएस के सौ वर्ष पूरे होने पर उसके हेड क्वार्टर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की मां कमलताई गवई के मुख्य अतिथि बनने को बाबा साहब डॉ अम्बेडकर का अपमान बताया जिनके आंदोलन में कभी मुख्य न्यायाधीश के पिता आरएस गवई सहयोगी हुआ करते थे. उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक के साथ शर्मनाक भी है कि मुख्य न्यायाधीश अपने को अम्बेडकरवादी भी बताते हैं और उनकी मां आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल भी होने जा रही हैं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और वर्तमान सीजेआई बीआर गवई में भाजपा और आरएसएस को ख़ुश करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है. इसीलिए अगर चंद्रचूड़ ने सीजेआई रहते पीएम मोदी को अपने घर पूजा करने बुलाया था तो अब गवई जी की मां सीधे आरएसएस के कार्यालय जा रही हैं. 


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