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साम्प्रदायिक और यौन उत्पीड़न के आरोपियों को जज बनाकर क्या सन्देश देना चाहती है कॉलेजियम- शाहनवाज़ आलम

 


नयी दिल्ली, 6 अगस्त 2025. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए कुछ जजों की निष्पक्षता, राजनैतिक रुझान, आचरण और महिला विरोधी आपराधिक इतिहास पर उठ रहे सवालों के बाद न्यायपालिका की छवि को बचाने के लिए इन जजों की नियुक्ति रोक दी जानी चाहिए. 


शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता आरती साठे की नियुक्ति ने साफ़ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजीयम आरएसएस और भाजपा के दबाव में उसके कार्यकर्ताओं को जज नियुक्त कर रहा है. ठीक ऐसे ही तथ्यों के बजाये आस्था के आधार पर बाबरी मस्जिद मामले में राजनीतिक फैसला देने वाले पूर्व सीजेआई डीवाई चन्द्रचूड़ ने भी तमिलनाडू की भाजपा महिला मोर्चा की हेट स्पीच देने वाली नेत्री गौरी विक्टोरिया को मद्रास हाई कोर्ट का जज नियुक्त कर किया था. 

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सीजेआई बीआर गवई के नेतृत्व वाली कॉलेजियम ने महिला जजों और कर्मचारियों का यौन उत्पीड़न और शोषण करने वाले न्यायिक कर्मचारियों को जज बनाने का संकल्प कर लिया था. इसीलिए इसमें सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार सूर्य प्रताप सिंह और मध्य प्रदेश के ज़िला जज राजेश कुमार गुप्ता जैसे लोगों का नाम शामिल है. सूर्य प्रताप सिंह पूर्व सीजेआई और रिटायरमेन्ट के बाद राज्य सभा सीट से नवाज़े गए रंजन गोगोई के क़रीबी बताये जाते हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट की महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले की जांच करने वाले सूर्य प्रताप सिंह पर पीड़िता ने आरोप लगाया था कि बिना उनका पक्ष सुने ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. जिस दिन उन्हें पक्ष रखना था उसी दिन उनके पति और देवर को भी गुंडों से पिटवाया गया और उन्हें फ़र्ज़ी मुकदमे में फंसाया गया था. इस मामले में गोगोई ने ख़ुद अपने ऊपर लगे आरोपों की जांचकर ख़ुद को क्लीन चिट दे दिया था, जो न्यायिक दुनिया का ऐसा एकलौता उदाहरण था. बाद में महिला को दुबारा नियुक्ति मिल गयी जिससे साबित होता है कि उसे दबाव में लेने के लिए उसे गलत आधारों पर बर्खास्त किया गया था. अब उसी सूर्य प्रताप सिंह को जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने उन्हें हाई कोर्ट का जज बना दिया है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इसीतरह कॉलेजियम द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का के जज बनाए गए राजेश कुमार गुप्ता पर भी यौन उत्पीड़न और शोषण का आरोप लग चुका है. शहडोल सिविल जज अदिति शर्मा ने ज़िला जज राजेश कुमार गुप्ता पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. न्याय के लिए उन्होंने राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश तक से गुहार लगायी थी. राजेश गुप्ता के रसूख के कारण महिला जज को बर्खास्त कर दिया गया था. जो बाद में बहाल हो गयी थीं. गुप्ता पर दलित जज के खिलाफ़ भी उत्पीड़न का आरोप लगा था. अदिति शर्मा ने अब गुप्ता के जज नियुक्त होने पर इस्तीफ़ा दे दिया है. 

उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सरकार के इशारे पर साम्प्रदायिक, भ्रष्ट और महिला विरोधी जजों की नियुक्ति करके लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा ख़त्म कर देना चाहती है. इस भरोसे के ख़त्म होते ही आरएसएस देश पर ऐसे जजों के माध्यम से तानाशाही थोप देगी. इसलिए ऐसे जजों की नियुक्ति का विरोध किया जाना चाहिए. 

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