लखनऊ, 31 अगस्त 2025. कॉलेजियम की सदस्य जस्टिस नागरत्ना
का सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाना न्यायपालिका में
व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला है. इसपर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य
न्यायाधीश बीआर गवई की चुप्पी भी संदेहास्पद है. इससे जनता में न्यायपालिका
की छवि सरकार के दबाव में काम करने वाली संस्था की बनी गयी है जो लोकतंत्र
के लिए खतरनाक है. ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने
साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 210 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि हाईकोर्ट जजों की वरिष्ठता क्रम में 57 वें पायदान पर होने
वाले पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को आखिर
किस उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया इसका जवाब मुख्य न्यायाधीश
बीआर गवई को देना चाहिए. उन्हें सिर्फ़ इस बहाने से चुप रहने का अधिकार
नहीं दिया जा सकता कि कॉलेजियम का फैसला गोपनीय होता है. उन्होंने कहा कि
इस तरह की नियक्तियों से कॉलेजियम के सरकार के दबाव में काम करने की धारणा
मजबूत होती है जिससे लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा ख़त्म होता है.
उन्होंने
कहा कि वहीं इससे ईमानदार और वरिष्ठता क्रम में ऊपर रहने वाले जजों में भी
हताशा व्याप्त होती है. उन्हें लगता है कि जब सरकार के पक्ष में काम करने
से ही प्रमोशन मिलना है तो मेरिट के आधार पर फैसले देना फायदेमंद नहीं
होगा. इससे जजों में प्रमोशन पाने के लिए भ्रष्ट होने की प्रवृत्ति भी
बढ़ेगी.

टिप्पणियाँ