केचुआ को एफिडेविट देकर बताना चाहिए कि 2014 और 2019 में भी उसने भाजपा को मदद की थी या नहीं- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 24 अगस्त 2025. संविधान का प्रस्तावित 130 वां
संशोधन संविधान के मूलभूत सिद्धांत के खिलाफ़ है जो कहता है कि अपराध साबित
होने तक किसी को सज़ा नहीं दी जा सकती. ये उन विपक्षी नेताओं को डराने के
लिए है जो लालच और दबाव में भाजपा में शामिल होने से इनकार करते रहे हैं.
ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने स्पीक अप कार्यक्रम की
209 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि पिछले 11 सालों में ईडी ने 5 हज़ार से ज़्यादा लोगों पर
मुक़दमे किए. जिनमें से 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा विपक्षी दलों के नेताओं और
समर्थको पर किए गए. इसमें से सिर्फ़ 15-20 मामलों में ही सज़ा हुई. जबकि
अधिकतर मामलों में आरोपी बनाए गए लोगों के भाजपा में शामिल होते ही मुक़दमे
ठंडे बस्ते में चले गए. उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस को पता है कि वो
कोई भी चुनाव बिना चुनाव आयोग की मदद के नहीं जीत सकते इसीलिए भाजपा ने
विपक्षी सांसदों को निलंबित करके संसद में चुनाव आयुक्तों के खिलाफ़ किसी भी
क़ानूनी कार्यवाई से छूट देने वाला क़ानून बना दिया था. अब इसी चुनाव आयोग
के सहयोग से सत्ता में पहुंच कर वो विपक्ष के सांसदों और मुख्यमंत्रीयों को
पद से हटाने के लिए यह क़ानून ला रही है जिसके तहत 30 दिन जेल में रहने के
बाद आरोपी की सदस्य्ता चली जाएगी.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि इसमें अब कोई दो राय नहीं रह गया है कि भाजपा 2024 का
लोकसभा चुनाव मतदाता सूची के फ़र्ज़ीबाड़े से जीती थी. इस हिसाब से नरेंद्र
मोदी अवैध प्रधानमंत्री हैं. अब जांच का विषय सिर्फ़ यह है कि क्या केंद्रीय
चुनाव आयोग और भाजपा का यह तालमेल 2019 और 2014 से चल रहा था? यानी चुनाव
आयोग को यह इफिडेविट के साथ बताना चाहिए कि उसने 2014 और 2019 में कैसे
भाजपा के पक्ष में फ़र्ज़ीबाड़ा किया था.

टिप्पणियाँ