साल में केवल 1 बार लगातार 5 साल तक फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से इस रोग से हमेशा के लिए सुरक्षित रह सकते हैं – डॉ. ए. के. चौधरी , अपर निदेशक मलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी, वेक्टर बोर्न डिजीज
लखनऊ – 6 अगस्त , 2025 – राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन
कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा 10 अगस्त , 2025 से प्रदेश के
फाइलेरिया प्रभावित 17 जनपदों, (औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, इटावा,
फर्रुखाबाद, गाज़ीपुर, गोंडा, देवरिया, गोरखपुर, कन्नौज, कुशीनगर,
महाराजगंज, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर और सुल्तानपुर ) की 103
प्लानिंग यूनिट में दो दवाओं (डी.ई.सी. और एल्बेन्डाजोल) के साथ और 10
जनपदों (सीतापुर, रायबरेली, मिर्ज़ापुर, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, कानपुर
नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, चंदौली और हरदोई ) के 92 प्लानिंग यूनिट में
तीन दवाओं (डी.ई.सी., एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन) के साथ मास ड्रग
एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (आईडीए ) शुरू किया जा रहा है । फाइलेरिया
उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा
करने हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश और ग्लोबल हेल्थ
स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ ,
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए,
मीडिया सहयोगियों के साथ आज लखनऊ में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
अपर
निदेशक मलेरिया एवं एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी, वेक्टर बोर्न डिजीज
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ. ए. के. चौधरी ने बताया
कि आगामी 10 अगस्त से शुरू होने वाले एमडीए कार्यक्रम में स्वास्थ्य
कार्यकर्ताओं के माध्यम से, जिसमें 1 पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता और 1
महिला कार्यकत्री द्वारा पात्र लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं अपने
सामने ही खिलवायेंगी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की सफलता में सामुदायिक
सहभागिता की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि फाइलेरिया का ख़तरा प्रत्येक
व्यक्ति को है और इसीलिए, इसका उन्मूलन करना हम सबकी नैतिक और सामूहिक
ज़िम्मेदारी है। उन्होंने जानकारी दी कि एमडीए के दौरान 2 वर्ष से कम उम्र
के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये
दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। डॉ. चौधरी ने यह भी बताया कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट
एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं
विकलांगता की रोकथाम द्वारा लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल
एवं हाइड्रोसील के मरीजो का समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने
कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं ।
रक्तचाप, शुगर,
अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं
खानी हैं । सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के
दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर,
खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस
व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के
बाद परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं । उन्होंने कहा कि
कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की
कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड
रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी । उन्होंने यह भी बताया कि यदि समुदाय के सभी लोग
5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओ का सेवन करे तो
फाइलेरिया रोग से हमेशा के लिए सुरक्षित रहा जा सकता है । उन्होंने बताया
कि इस अभियान में सभी वर्गों के लगभग 4 करोड़ 43 लाख लाभार्थियों को
फाइलेरिया रोधी दवाईयों की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों
द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी
स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा । ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी
हैं ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी
समन्वयक डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक
स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व
स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक
विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह
संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया
जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण
चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा
(अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर
सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी
प्रभावित होती है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई
जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर
बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है।
कार्यशाला
में उपस्थित प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के ध्रुव सिंह ने बताया कि एमडीए
अभियान के सफल किर्यान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग
से सोशल नेटवर्किंग से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके
लिए पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधानों का भी सहयोग लिया जा रहा है । साथ ही,
स्वयं सहायता समूह, राशन डीलर्स और अन्य माध्यमों से कार्यक्रम के बारे में
जागरूकता फैलाई जा रही है |
पाथ के प्रतिनिधि डॉ.
सिद्धार्थ ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान फाइलेरिया से प्रभावित सभी
जनपदों में एमडीए और एमएमडीपी गतिविधियों में पाथ द्वारा सरकार को सहयोग
दिया जा रहा है |
सीफार की रंजना द्विवेदी ने कहा कि
इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त
है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता
से फैलती है। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित मीडिया सहयोगियों से अनुरोध
किया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय
दृष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करें।
अंत
में, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के अनुज घोष ने कहा कि मीडिया की भूमिका ,
सरकार द्वारा चलाये जा रहे, समस्त कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए
अत्यंत महत्वपूर्ण है । उन्होंने, मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे
आगामी 10 अगस्त शुरू होने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और
मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए
दवा खाने के लिए जागरूक करें ।
टिप्पणियाँ