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पहलगाम की घटना छत्तीसिंहपुरा जनसंहार जैसी, उसके दोषियों को भी वाजपेयी सरकार ने नहीं पकड़ा था- शाहनवाज़ आलम

 


नयी दिल्ली, 29 जुलाई 2025. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने पहलगाम घटना के सौ दिन पूरे होने के बावजूद दोषियों के न पकड़े जाने को मोदी सरकार की विफलता बताया है. उन्होंने इस बात पर भी संदेह जताया कि मोदी सरकार जानबूझकर दोषियों को नहीं पकड़ना चाहती ठीक जैसे 2000 में हुए छत्तीसिंघपुरा जनसंहार के दोषियों को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच कराकर पकड़ने की कोशिश को विफल कर दिया था. 

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भाजपा सरकारों का देश की सुरक्षा से समझौता करने का पुराना इतिहास रहा है. भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारु लक्ष्मण दुनिया की किसी भी पार्टी के एकमात्र अध्यक्ष हैं जो हथियारों की दलाली में जेल गए थे. तब सीबीआई की विशेष अदालत ने 2021 में उन्हें 4 साल की सज़ा सुनाते हुए टिप्पणी की थी कि 'भ्रष्टाचार वैश्यावृति से भी घटिया काम है'. फैसले में यह भी कहा गया था कि 'दोषी ने देश के लिए लड़ने वाले लाखों सैनिकों की जान को खतरे में डालते हुए समझौता किया'. सबसे अहम कि बंगारु लक्ष्मण ने फैसले को चुनौती नहीं दी बल्कि स्वास्थ्य कारणों से सज़ा में छूट मांगी थी. वहीं भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य भी बनाए रखा था. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह संयोग से ज़्यादा प्रयोग प्रतीत होता है कि जब पहलगाम मुद्दे पर संसद में मोदी सरकार घिरी है तभी पहलगाम के दोषियों के एनकाउंटर में मारे जाने की खबरें भी आ रही हैं. जिससे साबित होता है कि या तो मोदी जी को फजीहत से बचाने के लिए निर्दोषों को मारा गया है या फिर दोषियों को संसद सत्र के दौरान ही मारने के लिए अब तक छोड़ा गया था. उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए बेगुनाहों को फ़र्ज़ी एनकाउंटरों में मारने का मोदी जी का इतिहास देश भूला नहीं है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पहलगाम की घटना अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 20 मार्च 2000 को हुए कश्मीर के छत्तीसिंघपुरा जनसंहार जैसी लग रही है. जब तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे की पूर्व संध्या पर अनंतनाग के छत्तीसिंहपुरा गांव में 36 सिखों की हत्या सेना की वर्दी में आए नक़ाबपोश हत्यारों ने कर दी थी। सिख समुदाय शुरू से ही इस हत्याकांड की जांच न कराने के कारण अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की भूमिका पर सवाल उठाता रहा है। उस घटना में 36 लोग मौके पर ही मारे गए थे जबकि नानक सिंह नाम के एक व्यक्ति बच गए थे। बाद में नानक सिंह ने मीडिया को बताया था कि हत्यारों ने गोली चलाने से पहले 'जय माता दी' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाए थे और आपसी संवाद में वो गोपाल, पवन, बंसी और बहादुर नाम से एक दूसरे को संबोधित कर रहे थे। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अमरीकी संयुक्त सचिव मैडेलिन अलब्राइट की पुस्तक 'द माइटी ऐण्ड द अलमाइटी: रिफ्लेक्शन्स औन अमेरिका, गौड ऐंड वर्ल्ड एफेअर्स' की भूमिका में लिखा ' 2000 में मेरे भारत दौरे के दौरान कुछ हिंदू अतिवादियों ने अपनी नाराज़गी का प्रदर्शन करते हुए 38 सिखों की ठंडे दिमाग से हत्या कर दी।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस जनसंहार का मास्टरमाइंड बताते हुए 5 दिन बाद पांच मुस्लिम युवकों को पाकिस्तानी आतंकी बताकर पथरीबल में मार दिया गया। जिसकी सीबीआई जांच के बाद पता चला कि वह मुठभेड़ फ़र्ज़ी था और मारे गए पांचों युवक स्थानीय नागरिक थे जिन्हें उनके घर से उठाकर मारा गया था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमन्त्री फ़ारुक अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज एसआर पांडियन से सिख जनसंहार की जांच कराने की घोषणा की तो उन्हें प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी ने दिल्ली बुलाकर जांच रोक देने का निर्देश दिया था। 

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