तिरंगे की जगह भगवा झंडे को राष्ट्रध्वज बनाने की बात करने वाले आरएसएस नेता को जेल भेजे सरकार- शाहनवाज़ आलम
नई दिल्ली, 23 जून 2025. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव
शाहनवाज़ आलम ने तिरंगे की जगह भगवा झंडे को राष्ट्रध्वज बनाने की मांग करने
वाले केरल के भाजपाई नेता एन शिवराजन को राजद्रोह में गिरफ्तार कर जेल
भेजने की मांग की है. उन्होंने न्यायपालिका द्वारा अब तक इस अपराध पर स्वतः
संज्ञान न लेने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया है.
शाहनवाज़
आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल
ऑनर ऐक्ट 1971 के तहत राष्ट्रीय झंडे का अपमान करना दंडनीय अपराध है और
इसमे 3 साल तक की जेल का प्रावधान है.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि आरएसएस संविधान की जगह मनुस्मृति और तिरंगे की जगह भगवा
झंडे को राष्ट्रध्वज बनाने की मांग आज़ादी के समय से ही करता रहा है.
संविधान लागू होने के चौथे दिन 30 नवम्बर 1949 को आरएसएस ने अपने मुखपत्र
ऑर्गनिज़र में सबको बराबरी का अधिकार देने वाले संविधान की जगह मनुस्मृति को
लागू करने और तिरंगे को अशुभ बताते हुए उसकी जगह भगवा झंडे को राष्ट्रध्वज
बनाने की बात कही थी.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि दिसंबर 1929 में कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में लोगों
से हर अगले साल 26 जनवरी को तिरंगे को प्रदर्शित करके और उसे सलामी देकर
स्वतंत्रता दिवस मनाने का आह्वान किया जो उस समय राष्ट्रीय आंदोलन का ध्वज
था जिसके बीच में चरखा था. लेकिन तब आरएसएस के सरसंघचालक केबी हेडगेवार ने
21 जनवरी 1930 को एक पत्र जारी कर सभी आरएसएस शाखाओं को राष्ट्रीय ध्वज के
रूप में भगवा झंडे की पूजा करने के लिए कहा था.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आरएसएस के तिरंगा विरोधी होने का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि उसने इस पत्र को कभी वापस नहीं लिया.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि एमएस गोलवलकर ने 14 जुलाई 1946 को नागपुर में आरएसएस के
मुख्यालय में गुरुपूर्णिमा सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 'अंत में
पूरा देश इस भगवा ध्वज के सामने झुकेगा'। उन्होंने कहा कि अगर आरएसएस को
लगता है कि चुनाव आयोग की कृपा से सत्ता में आई मोदी सरकार के आगे देश झुक
जाएगा और तिरंगे की जगह भगवा झंडे को राष्ट्र ध्वज मान लेगा तो यह उसकी
भूल है.
उन्होंने कहा कि
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर जब भारत के हर हिस्से में लोग तिरंगे के साथ
मार्च कर रहे थे और घरों की छतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहे थे तब आरएसएस
के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने 14 अगस्त 1947 के अपने अंक में लिखा कि
लोग भले ही हमारे हाथों में तिरंगा थमा दें, लेकिन हिंदू कभी भी इसका
सम्मान नहीं करेंगे और इसे नहीं अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि उसका यह स्टैंड
उन लाखों हिन्दू स्वतंत्रता सेनानीयों का अपमान था जिन्होंने तिरंगे के लिए
अपना बलिदान दिया था. उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को अपने
कार्यकर्ता के देश विरोधी बयान और 1945 के आर्गेनाइजर में छपे उस कार्टून
के लिए भी माफ़ी मांगनी चाहिए जिसमे गाँधी, नेहरू, सरदार पटेल, अम्बेडकर और
सुभाष चंद्र बोस को रावण दिखाया गया था जिसे हाफ पैंट पहना एक संघी तीर से
मार रहा था.
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