लखनऊ, 22 जून 2025. भारत के परंपरागत मित्र इरान पर
इज़रायली हमले की निंदा कर पाने का साहस नहीं दिखा पाना प्रधान मंत्री
मोदी के लिए शर्मनाक है. भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य झड़प को रुकवाने का
श्रेय भी अमरीका ने ले लिया तब भी मोदी चुप रहे. इससे वैश्विक समुदाय में
मोदी के नेतृत्व में भारत की छवि एक कमज़ोर देश की बन गयी है. पीएम को कम से
कम दोनों देशों से युद्ध विराम की औपचारिक अपील करनी चाहिए.
यह बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 200 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि 1994 में जब पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे पर इस्लामिक
देशों के संगठन में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी तब भारत के
तत्कालीन विदेश मंत्री दिनेश सिंह ने ईरान दौरा कर भारत का पक्ष रखा था
जिसके बाद पाकिस्तान का वो प्रस्ताव गिर गया था. उन्होंने कहा कि इसके
अलावा भी ईरान वैश्विक मुद्दों पर हमेशा से भारत के साथ खड़ा रहता आया है.
उलटे अमरीका के दबाव में मोदी सरकार ने ईरान से दूरी बना कर एक विश्वसनीय
दोस्त को खो दिया.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि मोदी सरकार ने अमरीका के दबाव और अपनी मुस्लिम विरोधी
राजनीती के कारण इज़राल से दोस्ती तो कर ली लेकिन इज़राल के बंकरों में
भारतियों को आश्रय तक नहीं दिया जा रहा है. जिसपर मोदी सरकार की चुप्पी
शर्मनाक है.
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