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शेखर यादव को बचाकर मोदी सरकार न्यायपालिका की बची हुई साख भी खत्म कर देना चाहती है- शाहनवाज़ आलम

 


लखनऊ, 10 जून 2025. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने राज्य सभा के सभापति द्वारा सांप्रदायिक टिप्पणी करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के इन हाउस जांच करने पर रोक लगाने की निंदा की है। गौरतलब है कि ऐसे मामलों में कार्यवाई का अधिकार राज्य सभा अध्यक्ष यानी उप राष्ट्रपति, संसद और राष्ट्रपति को होता है। 

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि किसी तकनीकी बाधा का दुरूपयोग न्याय को रोकने के लिए नहीं किया जा सकता और न्याय का तकाजा है कि जस्टिस शेखर यादव को तत्काल पदमुक्त कर न्यायपालिका की विश्वसनीयता को पुनः बहाल किया जाए। लेकिन इस मामले में राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ इस तकनीकी प्रावधान का दुरूपयोग कर  सांप्रदायिक जज को बचाना चाहते हैं। 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इन हाउस जाँच कराकर कार्यवाई के लिए रिपोर्ट राज्य सभा को भेजता जिसपर धनखड़ जी को कार्यवाई करनी पड़ती। इसीलिए षड्यंत्र के तहत सुप्रीम कोर्ट को ही जांच करने से रोका गया है ताकि संघी मानसिकता वाले जज के खिलाफ़ कार्यवाई ही न करनी पड़े। उन्होंने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति को भी कार्यवाई करने का अधिकार है लेकिन उनकी चुप्पी भी यही साबित करती है कि शेखर यादव को बचाने का दबाव उनके ऊपर भी है। इस तरह शेखर यादव  एक ऐसा उदाहरण बन गये हैं जिनके खिलाफ़ अगर कार्यवाई न हुई तो वह न्यायपालिका की छवि को हमेशा के लिए कलंकित कर देंगे। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार चुनाव आयोग, सीबीआई, इडी, यूजीसी जैसी संस्थाओं पर पूरी तरह क़ब्ज़ा करने बाद न्याय पालिका पर भी आरएसएस के कार्यकर्ताओं का क़ब्ज़ा कराना चाहती है। जिसमें मोदी सरकार के सफल होने का मतलब लोकतंत्र का खात्मा होगा। इसलिए नागरिक समाज और राजनैतिक दलों को शेखर यादव को पद से हटाने के लिए अभियान चलाना चाहिए। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ऐसी स्थिति में पूरा देश सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की तरफ देख रहा है कि वो सरकार द्वारा इस तकनीकी बाधा का इस्तेमाल करके एक सांप्रदायिक जज को पद पर बने रहने देंगे या संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए सरकार के इस रवैय्ये का विरोध करेंगे। 


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