नयी दिल्ली, 25 मई 2025. सावरकर और प्रोफेसर अली खान
महमूदाबाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणियां देश
को विचलित करने वाली हैं। क्योंकि एक में उन्होंनें अंग्रेज़ों से माफी
मांगने और गाँधी जी की हत्या में षड्यंत्रकारी की भूमिका निभाने वाले को
स्वतंत्रता सेनानी साबित करने की कोशिश थी तो दूसरे में अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता को ही नियंत्रित करने का प्रयास किया है। ये बातें कांग्रेस के
राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 196 वीं
कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आदर्श गोयल का 12 जनवरी
2018 को लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का जज रहते हुए जस्टिस सूर्यकांत द्वारा भ्रष्ट
तरीके से संपत्तियां खरीदने और जातिवादी होने की सूचनाओं से सुप्रीम कोर्ट
के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को अवगत कराया था। इसी आधार पर उन्होंने
जस्टिस सूर्यकांत को जाँच पूरी होने तक हिमांचल प्रदेश का मुख्य न्यायाधीश न
बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन बावजूद इसके जस्टिस सूर्यकांत को हिमांचल
प्रदेश का मुख्य न्यायाधीश ही नहीं बनाया गया बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी
न्यायाधीश बना दिया गया।
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीएस गवई जी को चाहिए कि
इस पत्र में जस्टिस सूर्यकांत पर उठाए गए सवालों की जाँच करायें और देश के
सामने सच्चाई रखें क्योंकि उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत को ही सुप्रीम कोर्ट
का मुख्य न्यायाधीश बनना है। अगर भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के ऊपर ऐसे
गंभीर आरोप लगे हों तो इससे न्याययिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी।
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि यह आम धारणा बन रही है कि आरएसएस के वैचारिक एजेंडे से
जुड़े मुद्दों पर न्यायालय के एक हिस्से के समर्थन से सरकार के पक्ष में
फैसले आ रहे हैं। सूर्यकांत पर लगे आरोपों और सावरकर और डॉ अली खान
महमूदाबाद प्रकरण पर उनके विचार से ऐसी धारणाएं और मजबूत होती हैं। इसलिए
उनपर लगे आरोपों की जांच की जानी चाहिए और अगर वो सही पायी जाती हैं तो
जस्टिस सूर्यकांत को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाना चाहिए।
टिप्पणियाँ