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तालिबान से समर्थन लेकर मोदी सरकार दुनिया को क्या संदेश देना चाहती है- शाहनवाज़ आलम

 


नई दिल्ली, 18 मई 2025. मोदी सरकार की विदेश नीति की विफलता के कारण ही कोई भी अहम मुल्क हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। जबकि पूर्व में हुई ऐसी घटनाओं पर हमेशा दुनिया के अहम मुल्क भारत के साथ खड़े होते रहे हैं। केवल दुनिया भर में बदनाम चरमपंथी संगठन तालीबान द्वारा शासित अफगानिस्तान का भारत का समर्थन करना और भी शर्मनाक है। ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 195 वीं कड़ी में कहीं। 

शाहनवाज़ आलम ने प्रतिष्ठित मानवाधिकार संगठन एपीसीआर की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि 22 अप्रैल से 6 मई तक 19 राज्यों में 184 मुस्लिम विरोधी हिंसक घटनाएं हुई हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि एक तरफ भाजपा सरकार बाहरी सीमा की सुरक्षा नहीं कर पा रही है तो दूसरी तरफ देश के अंदर उसके गुंडे मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा करके देश की एकता अखंडता को भी तोड़ रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि देश को बाहरी खतरा पाकिस्तान समर्थित चरमपंथ से है तो अंदरूनी खतरा आरएसएस-भाजपा से है। 

उन्होंने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि इस दरमयान रोज़ अवसतन 10 मुस्लिम विरोधी हिंसक घटनाएं हुईं। इसमें से पहलगाम की घटना के बाद पहलगाम का बदला लेने के नाम पर 106 मुस्लिम विरोधी हिंसक घटनाएं हुईं। जिसमें 3 हत्याएं, 12 मॉब लिंचिंग, मस्जिदों, दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की 19 घटनाएं और मारपीट की 39 घटनाएं शामिल हैं। इस दौरान हेट स्पीच, मुसलमानों के जनसंहार और उनकी आबादी को नियंत्रित करने के आह्वान वाले भाषण हुए। अधिकतर मामलों में पुलिस ने कोई कार्यवाई नहीं की। जो सुप्रीम कोर्ट के हेट स्पीच पर दिए गए गाइडलाइन का उल्लंघन है जिसपर सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट ने सिर्फ़ एक-दो मुद्दे पर ही स्वतः संज्ञान लिया। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों या सैन्य कार्रवाईयों के समय तनाव सिर्फ़ बॉर्डर पर रहता था। लेकिन इस बार भाजपा, आरएसएस से जुड़े देश विरोधी तत्वों ने देश के अंदर तनाव पैदा करने की साज़िश की जिसमें कई जगह ये लोग पाकिस्तान का झंडा लगाते हुए पकड़े गए। उन्होंने कहा कि तालिबान का मोदी सरकार के साथ खड़ा होना दोनों की वैचारिक एकता को भी दिखाता है। आरएसएस और भाजपा के लोग मस्जिद तोड़ते हैं तो तालिबानीयों ने बुद्ध की ऐतिहासिक मूर्तियों को तोड़ा था। उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना ज़्यादा है कि तालिबानीयों ने इबादतगाहों को तोड़ने की प्रेरणा संघियों से ही ली हो क्योंकि उन्होंने बाबरी मस्जिद को बुद्ध की मूर्तियों को दस साल पहले तोड़ा था। 

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