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आरएसएस का एक भी आदमी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नहीं था- एम के सिंह

 


लखनऊ, 12 मई, 2025. मौजूदा सांप्रदायिक माहौल में मुस्लिम क्रांतिकारीयों के योगदान को सामने लाना देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए बहुत ज़रूरी है। मृदुल कुमार सिंह ने 'जंगे आज़ादी में मुस्लिम क्रांतिकारीयों का बलिदान' किताब लिखकर इस ज़रूरी काम को किया है। ये बातें पूर्व शिक्षा मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ मसूद अहमद ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित पुस्तक पर चर्चा गोष्ठी में कही। 

पुस्तक के लेखक मृदुल कुमार सिंह ने कहा कि मुस्लिम समाज के खिलाफ आरएसएस द्वारा फैलाए गए नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए ज़रूरी है कि युवा पीढी को यह बताया जाए कि देश के मुस्लिमों ने अन्य धर्मों के लोगों के साथ मिलकर देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया था। जबकि आरएसएस और हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया था। 

गोष्ठी की अध्यक्षता कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने किया। 

ओबीसी कांग्रेस के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव ने इस पुस्तक को आरएसएस द्वारा दिग्भ्रमित युवाओं तक पहुंचाने पर ज़ोर दिया। 

कांग्रेस शहर अध्यक्ष डॉ शहज़ाद आलम ने कहा कि किताब में उतर प्रदेश से काला पानी की सज़ा पाए डेढ़ सौ से ज़्यादा मुस्लिम क्रांतिकारीयों की सूची बहुत अहम है। 

अल्पसंख्यक कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शमीम खान ने पुस्तक की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति का तथ्यों के साथ खंडन करने के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। 

अल्पसंख्यक कांग्रेस के निवर्तमान महासचिव मुहम्मद उमैर और वरिष्ठ नेता विजय बहादुर यादव ने कहा कि मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक दुष्प्रचार को यह पुस्तक खारिज करती है। इसलिए इसे स्कूल के छात्रों तक ले जाना चाहिए।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता नावेद नक़वी और हम्माम वहीद ने कहा कि पुस्तक में वर्णित क्रांतिकारीयों के नाम पर सड़क और पार्कों के नाम रखने की मांग सरकार से करनी चाहिए।

कांग्रेस के प्रवक्ता अलीमुल्ला खान और वरिष्ठ नेता नसीम खान ने लेखक के प्रयास की सराहना की।

संचालन अल्पसंख्यक कांग्रेस के निवर्तमान प्रदेश महासचिव शमसुल हसन ने किया। 

गोष्ठी में नोमान अहमद, रामचंद्र राम, शबाब रज़ा, इरफानुल्ला, अजय वर्मा, 
शमशेर अली, काशिफ सिद्दीक़ी, मोहम्मद जाहिद आदि मौजूद थे। 

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