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उपराष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल के जीवन वृत्तांत पर आधारित पुस्तक ‘‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’’ का हुआ विमोचन

 



लखनऊः 01 मई, 2025 : भारत गणराज्य के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी ने आज डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ में प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’’ का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती, विधानसभा अध्यक्ष श्री सतीश महाना, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सहित मंत्रीगण व विशिष्टजनों की गरिमामयी उपस्थिति में किया।
विमोचन समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए माननीय उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की जीवनी पर आधारित पुस्तक ‘‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’’,  ऐसी पुस्तक लिखना आसान नहीं है। ईमानदारी से लिखना और भी आसान नहीं है। यह पुस्तक प्रेरणादायक सिद्ध होगी। उन्होंने राज्यपाल जी की सराहना करते हुए कहा कि जीवन भर जिसके लिए काम किया वह दिन 01 मई है श्रमिक दिवस पुस्तक विमोचन के लिए चुना।
माननीय उपराष्ट्रपति ने संवैधानिक मूल्यों, संस्थागत मर्यादा और लोकतांत्रिक परंपराओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उन्हें चुनौतियाँ पसंद हैं और संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करना सभी पदाधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसमें कोई कोताही स्वीकार नहीं की जा सकती। श्री धनखड़ जी ने संविधान में वर्णित राष्ट्रपति और राज्यपाल के दायित्वों को विशिष्ट बताया। उन्होंने कहा जबकि जनप्रतिनिधि संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं, राष्ट्रपति और राज्यपाल संविधान की रक्षा, संरक्षण और सेवा की शपथ लेते हैं। ऐसे गरिमापूर्ण पदों पर की जाने वाली टिप्पणियाँ चिंतन और मनन का विषय हैं। उन्होंने कहा कि संविधान टकराव की नहीं, बल्कि समन्वय और संवाद की अपेक्षा करता है। संवैधानिक संस्थाएं जब अपनी सीमाओं में रहते हुए कार्य करती हैं और एक-दूसरे का सम्मान करती हैं, तब लोकतंत्र सुदृढ़ होता है।
माननीय उपराष्ट्रपति जी ने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सहयोग एवं समन्वय पर बल देते हुए कहा जैसे विधायिका न्यायिक निर्णय नहीं दे सकती वैसे ही न्यायालय कानून नहीं बना सकता। लोकतंत्र में प्रत्येक संस्था की भूमिका सीमित और परिभाषित है और उसका सम्मान आवश्यक है। उन्होंने हाल की कुछ घटनाओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि सभी संस्थाओं को अपनी मर्यादा में रहते हुए एक-दूसरे के साथ सहभागिता और समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की आत्मा अभिव्यक्ति और संवाद में निहित है। उन्होंने कहा यदि अभिव्यक्ति संवाद के बिना हो, तो वह अहंकार का रूप ले सकती है, जो व्यक्ति और संस्था,  दोनों के लिए घातक है।
माननीय उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि पहलगाम एक चुनौती प्रस्तुत करता है। हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है। यही कारण है कि आज दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चुनौतियों को स्वीकार किया। आज भारत में हर ओर शिक्षा, सुरक्षा, जल, सड़क और बिजली है, रोजगार है। सबसे खतरनाक चुनौती वो है जो हमें अपने से मिलती है। जिसका हम जिक्र नहीं कर सकते। हमारे पास बहुत बड़ी ताकत है। वह है हमारी सभ्यता। हमारे वेद हैं, भगवद्गीता, रामायण और महाभारत है। कभी भी कर्तव्य पथ से विमुख नहीं होना है। आज देश का बहुमुखी विकास हो रहा है। आर्थिक उन्नति हो रही है। ऐसे मौके पर भारत के समक्ष चुनौतियां आएंगी।
उन्होंने कहा कि चुनौतियों में मुंह नहीं मोड़ना है। लोग कहते हैं कि समय के साथ लोग भूल जाएंगे। अभिव्यक्ति और वाद-विवाद ही लोकतंत्र है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सराहना करते हुए कहा कि आठ साल में उत्तर प्रदेश की साढ़े बारह लाख करोड़ की इकोनॉमी को लगभग तीस लाख करोड़ तक पहुंचा दिया। यह शोध का विषय है। मेट्रो के मामले में भी उत्तर प्रदेश अव्वल है। छह शहरों में मेट्रो हैं। चुनौती के प्रति निष्क्रीयता दिखाना, कायरता की निशानी है।
समारोह में अपने सम्बोधन में राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने माननीय उपराष्ट्रपति जी एवं अन्य गणमान्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सानिध्य से आज का अवसर अविस्मरणीय हो चुका है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने संत एवं राजनीतिज्ञ की भूमिका में प्रदेश को आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के सामाजिक कार्यों की सराहना की।
   01 मई के दिन को पुस्तक विमोचन हेतु चयन करने के पीछे उन्होंने मजदूर दिवस एवं गुजरात राज्य स्थापना दिवस की चर्चा करते हुए कहा कि यह दिन उन श्रमिकों को समर्पित है, जो दिन रात निर्माण कार्य में जुटे रहते हैं। इस अवसर पर उन्होंने मजदूर दिवस एवं गुजरात राज्य स्थापना दिवस की सभी को बधाई भी दी। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के निर्माण में लगे मजदूरों के पांव का पूजन कर उन्हें सम्मानित करने की घटना को याद करते हुए कहा कि यह सम्मान सभी के हृदय में होना चाहिए।
राज्यपाल जी ने कहा कि हर जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन उन्हें पार करके ही प्रगति संभव है। उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि वह गुजरात के मेहसाणा जिले से हैं, और उनका पालन-पोषण एक गांधीवादी परिवार में हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने शिक्षा के साथ-साथ घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्हें आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने भतीजे के बाल विवाह को रोकने का अनुभव साझा करते हुए सभी से बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।
राज्यपाल जी ने बताया कि नर्मदा नदी में एक छात्रा को डूबने से बचाने पर उन्हें सम्मान मिला और यही घटना उनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभिक मोड़ बनी। उन्होंने गुजरात में न्याय यात्रा, महिला मोर्चा की जिम्मेदारियाँ, जल संकट समाधान, मंत्री पद पर रहते हुए विभिन्न जनपदों का दौरा और नहर निर्माण की कोशिशों की चर्चा की। उन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गुजरात के विकास हेतु किये जाने वाले कार्यानुभवों को भी साझा किया।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उन्होंने राजभवन में विभिन्न नवाचारों व अभिनव पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य रहा है कि राजभवन केवल प्रशासनिक इकाई न होकर प्रेरणा एवं शैक्षिक केन्द्र बने। उन्होंने कहा कि राजभवन की गतिविधियां सभी के सकारात्मक सहयोग से संचालित हो रही हैं एवं इसे और आगे बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा।
राज्यपाल जी ने पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के अनुभव को भी साझा किया। राज्यपाल जी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में राज्यपाल रहते हुए आंगनबाड़ी, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, नैक और एन0आई0आर0एफ0 में उच्च रैंकिंग, महिलाओं एवं बालिकाओं को एच0पी0वी0 वैक्सीन जैसे जन-स्वास्थ्य मुद्दों पर किए गए कार्यों की चर्चा की।
पुस्तक “चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं” के बारे में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आत्मकथा नहीं, बल्कि उनके संघर्ष, भावनाओं और अनुभवों की यात्रा है। पुस्तक के लेखक श्री अशोक देसाई, श्री पंकज जॉनी एवं श्री विनय जोशी के प्रति उन्होंने आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस यात्रा में साथ देने वाले सभी व्यक्तियों, परिवारगण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुस्तक सिर्फ उनके अतीत का दस्तावेज नही बल्कि भविष्य को प्रेरणा देने के उद्देश्य से लिखी गयी है। उन्होंने कहा कि पुस्तक की बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में किया जाएगा। उन्होंने कहा यदि मेरी जीवन यात्रा किसी एक व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगा सके, तो मैं समझूंगी कि मेरा यह प्रयास सार्थक हुआ है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की जीवनी पर आधारित पुस्तक प्रेरणदायक है। जिस प्रकार से समुद्र मंथन में चौदह रत्न निकले, उसी प्रकार इस ग्रंथ में 14 अध्याय हैं। सभी अध्याय एक रत्न हैं। जो चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, वही निखरते हैं। जो भागते हैं वे बिखर जाते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुजरात के एक छोटे परिवार में जन्म लेकर आज से सात दशक पहले स्कूल जाना और पढ़ना, एक कल्पना थी। मां-बाप के संस्कार, उनका संघर्ष बच्चे को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यही भाव राज्यपाल जी को एक शिक्षिका, प्रधानाचार्य, विधान सभा, राज्यसभा के सदस्य, गुजरात सरकार में मंत्री, मुख्यमंत्री और आज देश के सबसे बड़े राज्य के राज्यपाल के रूप में हम सब देख रहे हैं। उनका मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। यह पुस्तक नई पीढ़ी के लिए अपने आप में नई प्रेरणा होगी।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि उपराष्ट्रपति जी, राज्यपाल जी और मुख्यमंत्री जी ये तीनों ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्हें चुनौतियों ने पसंद किया है। उन्होंने चुनौतियों को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उनका सामना करते हुए कुछ नया चुना और कुछ नया रचा। आपदाओं को उन्होंने अवसरों में बदला, और जो अवसर मिले, उन्हें उत्सव में परिवर्तित कर दिया। राज्यपाल जी का जीवन विविधता का प्रतीक है, एक प्रेरणा है, एक संदेश है। उनका जीवन महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है और यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों का सामना कैसे करना चाहिए।
माननीय उपराष्ट्रपति, माननीय मुख्यमंत्री व अतिथिगणों द्वारा राज्यपाल महोदया की प्रेरणा से राजभवन से प्रकाशित पुस्तकें व उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के स्टॉल का अवलोकन किया।
इस अवसर पर राजभवन द्वारा निर्मित राज्यपाल जी के जीवन पर आधारित एक प्रेरणादायक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गयी।
समारोह में श्री अनारबेन पटेल ने स्वागत भाषण देते हुए राज्यपाल जी से अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा की और कहा कि राज्यपाल जी का जीवन शब्दों से ऊपर है। उन्होंने राज्यपाल जी के आत्मबल, हर परिस्थिति से लड़ने की क्षमता, जिम्मेदारी के प्रति समर्पण, संबंध में स्वार्थ नहीं रखने के गुणों का उल्लेख किया।
इस कार्यक्रम के अवसर पर उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी श्रीमती सुदेश धनखड़, पूर्व राज्यपाल राजस्थान श्री कलराज मिश्रा, प्रदेश के मंत्रीगण समेत सांसद, विधायक, विभिन्न गणमान्य अतिथियों, शिक्षाविदों, प्रशासनिक अधिकारियों व अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

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