नयी दिल्ली, 24 अप्रैल 2025. एनआईए द्वारा मुंबई की एक
विशेष अदालत में मालेगांव आतंकी विस्फोट मामले में भाजपा की पूर्व सांसद
साध्वी प्रज्ञा को फांसी देने की मांग करने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव
शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख
मोहन भागवत को प्रज्ञा को अपनी पार्टी से सांसद बनाने के लिए देश से माफी
मांगनी चाहिए.
शाहनवाज़
आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भाजपा और आरएसएस ने मालेगांव,
समझौता एक्स्प्रेस और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हिंदुत्ववादी चरमपंथी
संगठनों द्वारा किए गए हमले की मास्टर माइंड को लोकसभा का टिकट देकर संसद
में पहुंचाने का अपराध किया है. क्योंकि इससे पहले कभी भी कोई आतंकी संसद
में नहीं पहुंचा था. अब जब एनआईए ने आतंकी घटना के 17 साल बाद विशेष कोर्ट
से उसकी फांसी की मांग कर दी है तो मोदी और मोहन भागवत को उसे सांसद बनाने
की गलती स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए. इससे यह भी संदेश
जाएगा कि मोदी सरकार आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही
है और इसकी शुरुआत वो अपनी ही विचारधारा से जुड़ी आतंकी को फांसी दिलवाकर
करेगी.
शाहनवाज़ आलम ने
कहा कि देश को उम्मीद है कि साध्वी प्रज्ञा अगर केंद्र सरकार से फांसी की
सज़ा को उम्र क़ैद में बदलने की अपील करती है तो पीएम मोदी उसे माफ नहीं
करेंगे क्योंकि वो ख़ुद 2019 में ही साध्वी प्रज्ञा द्वारा गोडसे की तारीफ
करने पर उसे दिल से कभी भी माफ न करने की बात देश के सामने कर चुके हैं.
उन्होंने
कहा कि हर बात में नेहरू से प्रतिस्पर्धा रखने वाले वाले मोदी जी के सामने
अवसर है कि जिस तरह नेहरू के पीएम रहते आरएसएस से प्रभावित गाँधी जी के
हत्यारों नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी हुई थी उसी तरह उनके
कार्यकाल में ही आरएसएस से प्रभावित आतंकी साध्वी प्रज्ञा को भी फांसी हो
जाए.
शाहनवाज़ आलम ने कहा
कि साध्वी प्रज्ञा की फांसी मुंबई एटीएस के तत्कालीन प्रमुख शहीद हेमन्त
करकरे को भी वास्तविक श्रद्धांजलि होगी क्योंकि उन्हीं के प्रयासों से
साध्वी प्रज्ञा और उसके आतंकी गिरोह को पकड़ा गया था.
उन्होंने
कहा कि हेमंत करकरे की मुंबई आतंकी हमले में हत्या हो गयी थी लेकिन उनकी
पत्नी कविता करकरे ने हत्या के समय उनके द्वारा पहने गए बुलेट प्रूफ जैकेट
के गायब होने के मुद्दे को उठाते हुए मामले की जांच की मांग की थी. ऐसे ही
पूर्व पुलिस अधिकारी एस एम मुशरिफ ने भी अपनी किताब 'हू किल्ड करकरे' में
इस सवाल को उठाते हुए जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा
ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि करकरे उसके श्राप की वजह से मरे थे.
इसलिए इस बयान के आधार पर करकरे की हत्या में साध्वी प्रज्ञा की भूमिका की
भी जांच नए सिरे से होनी चाहिए. क्योंकि ऐसा हो सकता है कि 'श्राप' प्रज्ञा
के आतंकी संगठन का कोई कोड वर्ड हो जिसे हत्या के लिए इस्तेमाल किया जाता
हो.
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