यूपी-बिहार की गरीबी की वजह आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की पाबन्दी है- शाहनवाज़ आलम

 


नयी दिल्ली, 2 मार्च 2025. जाति जनगणना कराने और उसके आंकड़े के आधार पर आरक्षण बढ़ाने से देश की श्रम शक्ति में वृद्धि होगी. जिससे देश की प्रगति में ज़्यादा लोगों की भागीदारी बढ़ेगी. देश में सिर्फ़ राहुल गाँधी ही एक नेता हैं जो इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और बिहार सह प्रभारी शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 184 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि तमिलनाडू की पर कैपिटा इनकम  3,15,220 रुपये   है जबकि यूपी की पर कैपिटा इनकम 93,514.285 रुपये और बिहार की पर कैपिटा इनकम 66,828 रुपये है. तमिलनाडु में उद्योग और रोजगार ज़्यादा है जबकि यूपी और बिहार से रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है. इसीलिए तमिलनाडू में हर जगह बिहार और यूपी के लोग काम करते मिल जाते हैं लेकिन तमिलनाडू का आदमी यूपी-बिहार में काम करने नहीं आता. जिसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि तमिलनाडु में आरक्षण 69 प्रतिशत है जबकि यूपी और बिहार जैसे राज्यों में आरक्षण सिर्फ़ 50 है.

उन्होंने कहा कि आंकड़े साबित करते हैं कि जहां ज़्यादा आरक्षण होता है वहां प्रगति और समृद्धि ज़्यादा होती है क्योंकि लोगों को काम करने का अवसर ज़्यादा मिलता है. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अमरीका के विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की वजह वहां पर 1961 से ही एफरमेटिव एक्शन यानी आरक्षण का लागू होना है. जिसके कारण अमरीका अपनी श्रम शक्ति का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करता है. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जो पार्टियां जातिगत जनगणना और आरक्षण बढ़ाने की विरोधी हैं वो देश की प्रगति और समृद्धि की विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में आरक्षण बढ़ाने की कोशिशों को न्यायपालिका के सहयोग से लटका दिया जाता है जिसका बिहार ताज़ा उदाहरण है. इसलिए सामाजिक न्याय के समर्थक लोगों को न्यायपालिका के रवैय्ये की भी निगरानी करनी होगी.


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