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मोदी जी को डर है कि सर सय्यद की बायोपिक देखकर लोग एएमयू जैसे विश्वविद्याल मानंगे लगेंगे- शाहनवाज़ आलम

 


नयी दिल्ली, 25 फरवरी 2025. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने दूरदर्शन द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के संस्थापक सर सय्यद अहमद खान पर आधारित बायोपिक दिखाने से इनकार करने की निंदा की है. 

कांग्रेस नेता ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रसार भारती द्वारा फिल्म के प्रोड्यूसर को लिखे गए पत्र की भाषा से ही स्पष्ट हो जाता है कि ऐसा सरकार द्वारा दबाव डलवा कर किया गया है क्योंकि इसमें कहा गया है कि 'आपको यह सूचित करने का 'निर्देश दिया गया है'. जिसका सीधा मतलब है कि प्रसार भारती ऐसा अपने स्तर पर नहीं कर रहा है बल्कि उससे यह करवाया जा रहा है. शाहनवाज़ आलम ने दूरदर्शन को अपनी स्वायत्तता दिखाने का सुझाव देते हुए कहा कि संस्थाओं को सरकार के नफरती एजेंडे के आगे नहीं झुकना चाहिए. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी सस्ते, काल्पनिक, इतिहास और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर बनाई जाने वाली फिल्मों को न सिर्फ़ संसद में अपने कैबिनेट के साथ देखते हैं बल्कि उन्हें टैक्स फ्री भी करवाते हैं ताकि लोग आरएसएस द्वारा फैलाई गयी देश विरोधी अफवाहों को सच मान लें. लेकिन देश को सबसे बड़ा विश्वविद्यालय देने वाले सर सय्यद अहमद खान की बायोपिक इसलिए नहीं दिखाने देते कि वो मुस्लिम और राष्ट्रवादी थे. उन्हें यह भी डर है कि सर सय्यद पर बायोपिक देखने के बाद लोग उनसे भी एएमयू जैसे विश्वविद्यालय बनाने की माँग करने लगेंगे. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आरएसएस और भाजपा का एएमयू से नफरत नयी नहीं है. इससे पहले भी वो
एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म करने की कोशिश करते रहे हैं. जिसपर सुप्रीम कोर्ट से उसे झटका भी लगा है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि दूरदर्शन द्वारा सर सय्यद पर बायोपिक दिखाने से इनकार करना वैसा ही है जैसा पिछले दिनों उत्तराखण्ड के गढवाल विश्वविद्यालय में लगने वाले पुस्तक मेला को भी आरएसएस के दबाव में इसलिए टाल दिया गया कि उसमें नेहरू, गाँधी और अम्बेडकर पर किताबें बिकनी थीं 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी जी यह बात नहीं समझ पाएंगे कि नेहरू, गाँधी, अम्बेडकर और सर सय्यद अहमद खान की शख्सियतों का आकर्षण फिल्मों और सीरियलों पर

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