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शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी से निकालें ममता बनर्जी, वैचारिक मुद्दों पर न्यूट्रल होने का ढोंग छोड़ें- शाहनवाज़ आलम

 


नई दिल्ली, 7 फरवरी 2025 कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के यूनीफॉर्म सिविल कोड के समर्थन और मांसाहार पर प्रतिबंध की मांग को निंदनीय बताया है. उन्होंने इसपर तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उत्तराखंड की यूसीसी संविधान की भावना के खिलाफ़ है वहीं संविधान सभी को अपनी पसंद का भोजन खाने का अधिकार देता है. ऐसे में शत्रुघ्न सिन्हा का बयान संविधान विरोधी है जिसपर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. अगर वो सिन्हा के बयान से सहमत हैं तो उन्हें फिर से एनडीए में शामिल हो जाना चाहिए जो संविधान को बदलकर मनुस्मृति लागू करना चाहती है और अगर असहमत हैं तो शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी से निकाल देना चाहिए. उन्हें ऐसे मुद्दों पर न्यूट्रल बने रहने का ढोंग नहीं करना चाहिए.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ममता बनर्जी ने एक रणनीति के तहत अगंभीर लोगों को टिकट देकर बंगाल की उन्नत राजनीतिक चेतना को कुंद करने का काम किया है. जिसका सबसे ज़्यादा नुकसान बंगाल के मुसलमानों को उठाना पड़ा है. क्योंकि ममता बनर्जी ने मुस्लिम बहुल सीटों से अभिनेताओं, अभिनेत्रियों और खिलाड़ीयो को टिकट देकर राजनीतिक मुस्लिम नेतृत्व को समाप्त कर दिया. आज राज्य की आबादी का अकेले 33 प्रतिशत होने के बावजूद उनके पास राजनीतिक नेतृत्व नहीं है. जो हैं भी वो गैरराजनीतिक हैं जिनका मूल पेशा मनोरंजन और खेल है. जिन्हें मौजूदा राजनीतिक चुनौतियों की समझ नहीं है. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बंगाल के मुसलमानों को विचार करना होगा कि तृणमूल को पिछले विधानसभा चुनाव में कुल मिले 48 प्रतिशत वोटों में अकेले 33 प्रतिशत वोट उन्हीं का था और ममता सिर्फ़ 15 प्रतिशत ही गैर मुस्लिम वोट ला पायीं. लेकिन तृणमूल सरकार में एक भी मजबूत मुसलमान मन्त्री नहीं है जो शत्रुघ्न सिन्हा के इस सांप्रदायिक बयान पर ममता बनर्जी से कार्यवाई की मांग कर सके. इसीतरह तृणमूल के किसी भी मुस्लिम नेता ने मोदी सरकार में मन्त्री रहते मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसक बयान देने वाले गायक बाबुल सुप्रियो को तृणमूल से टिकट देने और राज्य सरकार में मन्त्री बनाने का विरोध नहीं किया था.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बंगाल के मुसलमानों को कांग्रेस में वापस आना होगा क्योंकि सिर्फ़ कांग्रेस ही उन्हें सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व दे सकती है. उन्हें याद रखना चाहिए कि बंगाल के दोनों पड़ोसी राज्यों बिहार और असम में कांग्रेस ने ही अब्दुल गफूर और सय्यद अनवरा तैमूर को मुख्यमंत्री बनाया था. जबकि तृणमूल ने उन्हें आजतक डिप्टी सीएम भी नहीं बनाया.

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