नयी दिल्ली, 16 फरवरी 2025. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और
आधुनिक भारत के शिल्पकार जवाहर लाल नेहरू की किताबों को पुस्तक मेला से
हटाने के दबाव के आगे उत्तराखण्ड के गढवाल विश्वविद्यालय का झुक जाना
शर्मनाक है. इससे स्पष्ट होता है कि प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने के
बावजूद भी आरएसएस और भाजपा गाँधी और नेहरू के विचारों से डरती हैं.
ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 182 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी की हत्या 1948 में की थी लेकिन
उसके संगठन से जुड़े लोग प्रचंड बहुमत से सत्ता में होने के बावजूद आज भी
गाँधी से डरते हैं. उसी तरह गोडसेवादियों को लगता है कि युवा अगर नेहरू की
किताबें पढ़ लेंगे तो आरएसएस और भाजपा की सच्चाई जान जायेंगे. इसीलिए गढवाल
विश्वविद्यालय में लगने वाले पुस्तक मेला को आरएसएस ने अपने छात्र संगठन
एबीवीपी से दबाब डलवाकर नहीं होने दिया क्योंकि उस पुस्तक मेला में नेहरू
और गाँधी पर किताबें बिकनी थीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि आरएसएस अंबेडकर, नेहरू और गाँधी तीनों के विरोधी हैं.
इसीलिए भाजपा शासित राज्यों में अंबेडकर, गाँधी और नेहरू की मूर्तियों पर
हमले होते हैं. इसलिए आरएसएस और भाजपा के खिलाफ़ इन तीनों महापुरुषों को
मानने वालों को एक साथ खड़ा होना होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा जब कांग्रेस
मुक्त भारत की बात करती है तो उसका उद्देश्य गाँधी, नेहरू और अंबेडकर के
विचारों से मुक्त देश बनाना है. इसलिए लोगों को संघ और भाजपा से दूर रहना
चाहिए.
शाहनवाज़ आलम ने
कहा कि वीर अब्दुल हमीद और अन्ना हज़ारे दोनों ही सेना में थे. पाकिस्तान
से युद्ध में वीर अब्दुल हमीद लड़ते हुए शहीद हो गए जबकि अन्ना हज़ारे
नौकरी छोड़कर भाग गए. आज भाजपा सरकार गाजीपुर में वीर अब्दुल हमीद के नाम
पर बने स्कूल का नाम बदल रही है तो वहीं दिल्ली चुनाव में अन्ना हज़ारे
भाजपा के लिए वोट मांगते हैं. इससे साबित होता है कि संघ और भाजपा बहादुरों
का अपमान करती है और डरपकों और कायरों का सम्मान करती है.
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