केन्द्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2025 वकीलों की फ्रीडम आफ स्पीच को खत्म करने का एक कुत्सित प्रयास है : अजय राय



 लखनऊ, 22 फरवरी 2025। : केन्द्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2025 का जो मसौदा जारी किया गया है  जिसके कई संशोधन संविधान विरोधी हैं और अधिवक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश है।

संशोधन पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, पूर्व मंत्री  अजय राय ने कहा कि यह विधेयक वकीलों की फ्रीडम आफ स्पीच को खत्म करने का एक कुत्सित प्रयास है। इस अधिनियम के तहत वकीलों को कोर्ट के काम-काज से हड़ताल या बहिष्कार करने पर रोक लगाई गयी है जो उनके संवैधानिक अधिकार ( अनु0 19-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनु0 21-जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हनन करता है।

  राय ने कहा कि लोकतंत्र में अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने के लिए शान्तिपूर्ण हड़ताल या बहिष्कार एक लोकतांत्रिक अधिकार है और इसको छीनने का प्रयास लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। अधिनियम में वकीलों पर 3 लाख रू0 तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है जिससे सरकार को उन पर अनावश्यक दबाव बनाने की तानाशाही ताकत मिलेगी।

बार काउंसिल आफ इंडिया को भी किसी की अधिवक्ता को तरंत निलम्बित (धारा 36) करने का अधिकार दिया जा रहा है जो न सिर्फ वकीलों के शोषण को बढ़ावा देगा बल्कि बिना उचित जांच के किसी का भी निलम्बन अन्यायपूर्ण भी है और अलोकतांत्रिक भी है।

अजय राय ने कहा कि सच तो यह है कि मोदी सरकार हर स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रही है और अपने खिलाफ उठने वाले विरोध के स्वर को कुचल देना चाहती है। यह अधिनियम भी उसी दिशा में एक कदम है। जिसके प्रावधानों का सहारा लेकर सरकार अधिवक्ताओं पर अनावश्यक दबाव बनाएगी और उनकी स्वतंत्रता को कमजोर करेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह दमनकारी बिल है और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा भी हैै। कांग्रेस पार्टी पूरी ताकत से इसका विरोध करेगी और सरकार को उसके नापाक मंसूबों को सफल नहीं होने देगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अजय राय जी ने अधिवक्ता अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2025 को तत्काल वापस लेने हेतु महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की है। पत्र की प्रति संलग्न है।

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