प्रदेश के 14 जनपदों में राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 10 फरवरी से शुरू किया जा रहा है मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम
लखनऊ : प्रदेश के 1 4 जनपदों में राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम के
अंतर्गत 10 फरवरी से शुरू किया जा रहा है मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन
(एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम
लखनऊ – 10 फऱवरी , 2025 –राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा
दिनांक 10 फऱवरी से प्रदेश के फाइलेरिया प्रभावित 1 4 जनपदों में तीन दवाओं डी.ई.सी. और एल्बेन्डाजोल
और आईवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (आईडीए )शुरू
किया जा रहा है । फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की
सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
विभाग, उत्तर प्रदेश एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी
संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ , प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और
सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए, मीडिया सहयोगियों के साथ आज लखनऊ
में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया |
इस अवसर
पर अपर निदेशक वेक्टर बोर्न डिजीज़ , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर
प्रदेश डॉ. डॉ. ए के चौधरी ने कहा कि मीडिया सहयोगियों और
समुदाय की भागेदारी से प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है | उन्होंने
बताया कि संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह
संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया
जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण
चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा
(अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर
सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी
प्रभावित होती है। उन्होंने सूचित किया कि इस अभियान में सभी वर्गों के
-लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाईयों की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित
स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी
एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा । ये दवाएं खाली
पेट नहीं कहानी हैं |
। डॉ. चौधरी ने
यह भी बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं । रक्तचाप,
शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये
दवाएं खानी हैं । सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के
दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर,
खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस
व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के
बाद परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं । उन्होंने कहा कि
कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की
कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड
रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी । उन्होंने यह भी बताया कि यदि समुदाय के सभी लोग
5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओ का सेवन करे तो
प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है ।
इस अवसर पर चिकित्सा एवं
स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ ,
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि
एवं स्थानीय मीडिया सहयोगी भी उपस्थित थे ।
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