समतामूलक संविधान देने के कारण आरएसएस ने नेहरू और अंबेडकर का पुतला फूँका था - शाहनवाज़ आलम
नई
दिल्ली, 26 जनवरी 2025. गणतंत्र दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना होगा
कि संविधान विरोधी शक्तियों को सत्ता से बाहर कर फिर से संविधान का राज
स्थापित किया जाए. संविधान की रक्षा के लिए सिर्फ़ कांग्रेस ही लड़ रही
है.
ये बातें अखिल भारतीय
कांग्रेस कमेटी के सचिव और बिहार के सह प्रभारी शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक
स्पीक अप कार्यक्रम की 179 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि आरएसएस शुरू से ही संविधान की विरोधी रही है. सबको समानता
का अधिकार देने वाले संविधान को लागू करने के कारण ही आरएसएस ने जवाहर लाल
नेहरू और बाबा साहब अंबेडकर का पुतला भी फूँका था. अटल बिहारी वाजपेयी
सरकार में भी संविधान को बदलने के लिए संविधान समीक्षा आयोग बनाया गया था
लेकिन विपक्षी दलों और जनता के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा था.
उन्होंने
कहा कि मोदी सरकार भी जनता को संविधान से मिले अधिकारों को छीनकर संविधान
को कमज़ोर करना चाहती है. पूजा स्थल अधिनियम को बदलने, यूनिफॉर्म सिविल कोड
लाने, वक़्फ़ संशोधन, सीएए-एनआरसी, ठेकों पर नौकरी, काम के घंटों को 8
घण्टे से बढ़ाने की कोशिशें ये सब संविधान को कमज़ोर करके पुरानी गैर
बराबरी वाली व्यवस्था थोपने की कोशिश है. जिसके खिलाफ़ सिर्फ़ मल्लीकार्जुन
खरगे, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी और कांग्रेस लड़ रही है.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि चुनाव आयोग, न्यायपालिका, सीबीआई, ईडी जैसी संवैधानिक
संस्थाओं पर आरएसएस ने क़ब्ज़ा करके पूरी व्यवस्था को कुछ लोगों के हाथों
में सीमित कर दिया है. इसलिए संस्थाओं को आरएसएस के चंगुल से छुड़ाना
लोकतंत्र की रक्षा के लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है.
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