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ईसाई विरोधी संगठनों की भाषा बोलने वाले छतीसगढ़ हाईकोर्ट के जज के खिलाफ़ कार्यवाई करे सुप्रीम कोर्ट- शाहनवाज़ आलम

 


नई दिल्ली, 24 जनवरी 2025. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने छत्तीसगढ़ के एक ईसाई व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजनों को सुप्रीम कोर्ट तक जाने पर मजबूर होने को चिंता का विषय बताया है. उन्होंने कहा कि यह भाजपा शासित राज्यों द्वारा अल्पसंख्यक विरोधी  कार्यप्रणाली का शर्मनाक उदाहरण है. 

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि छत्तीसगढ़ के एक पादरी की मृत्यु के बाद उनके परिवार ने जब गाँव में उन्हें दफनाना चाहा तो स्थानीय हिंदुत्ववादी संगठनों के दबाव में प्रशासन ने उन्हें रोक दिया. वहीं जब परिवार हाईकोर्ट गया तो हाईकोर्ट ने भी हिंदुत्ववादी संगठनों के तर्क को दोहराते हुए कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे अशांति और वैमनस्य फैल जाएगा. जिसके बाद परिवार को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण पर दुख प्रकट करते हुए पंचायत, राज्य सरकार और हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना तो की लेकिन कोई ठोस कार्यवाई नहीं की है. उन्होंने कहा कि अगर हाईकोर्ट भी अल्पसंख्यक विरोधी संगठनों के तर्कों के साथ खड़ा होगा तो न्यायपालिका की विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जज के खिलाफ़ कार्यवाई करनी चाहिए. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि कुछ दिनों पहले ही बरेली में हिंदुत्वादी संगठन की शिकायत पर चार मुस्लिम युवकों को अपने घर में नमाज़ पढ़ने पर चलान करके जेल भेज दिया गया. जबकि यह कोई अपराध ही नहीं है क्योंकि अपने निजी घर में कोई भी धार्मिक काम कर सकता है. इस मामले पर स्थानीय कोर्ट को एफआईआर खारिज कर शिकायतकर्ता के खिलाफ ही कार्यवाई करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सोचना चाहिए कि अगर आरएसएस से जुड़े लोगों की इच्छा के मुताबिक न्यायपालिका भी काम करने लगेगी तो लोकतंत्र का अर्थ ही खत्म हो जाएगा.


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