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पुर्तगाल सिविल कोड हिंदू महिला विरोधी, भाजपा कर रही गुमराह- शाहनवाज़ आलम

 


लखनऊ, 22 जनवरी 2025. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के पक्ष में दिए गए पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्य सभा सदस्य रंजन गोगोई के बयान को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने गुमराह करने वाला बताया है. उन्होंने कहा है कि रंजन गोगोई को अपने किसी साकारत्मक न्यायिक रेकॉर्ड के बजाए सरकार को खुश करने के लिए तथ्य के बजाए आस्था के आधार पर फैसले देने के लिए ही याद किया जाता है. यूसीसी पर उनका बयान भी अगले साल पूरा हो रहे राज्य सभा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए सरकार को खुश करने की कोशिश है.

लखनऊ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने 2 दिसंबर 1948 को संविधान सभा के भाषण में कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के बारे में सोचने वाली कोई भी सरकार पागल सरकार ही कही जाएगी। उन्होंने इसे राज्य के नीति निदेशक तत्वों की सूची में रखा था और 23 नवंबर 1948 को कहा था कि इसे भविष्य में लागू करते समय शुरुआत में अनिवार्य के बजाए स्वैच्छिक रखा जाए और इसे सबसे पहले उन वर्गों पर लागू किया जाए जो इसके लिए घोषित तौर पर सहमति प्रदान करने को तय्यार हों. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार बाबा साहब अंबेडकर के विचारों का सम्मान करती तो यूसीसी को लागू करने के लिए सबसे पहले अपने समर्थकों से सहमति पत्र भरवाती और उनपर इसे उनकी स्वेच्छा से लागू करती. जिसके बाद फ़ायदा नुकसान देखकर बाकी लोग भी इस पर अपनी राय बनाते. लेकिन भाजपा इसे बाबा साहेब के विचारों के खिलाफ़ जाकर सबके लिए अनिवार्य बनाना चाह रही है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार सह प्रभारी ने कहा कि रंजन गोगोई ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष में यह गुमराह करने वाली बात भी कही है कि गोवा में 1867 से लागू पुर्तगाल सिविल कोड अच्छे ढंग से काम कर रहा है.  जबकि सच्चाई यह है कि खुद गोवा के लोग इसे गलत मानते हैं क्योंकि यह हिंदू महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ़ है. इसके अनुसार अगर किसी हिंदू की पत्नी 21 साल की उम्र तक किसी बच्चे को जन्म नहीं देती है या फिर 30 की उम्र तक लड़के को जन्म नहीं देती है तो वह दूसरा विवाह कर सकता है। उन्होंने कहा कि गोवा में लागू पुर्तगाल सिविल कोड आरएसएस के महिला विरोधी विचार के अनुरूप है इसीलिए उसकी तारीफ़ संघ और भाजपा के लोग कर रहे हैं. क्योंकि इस क़ानून की तरह ही आरएसएस महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन मानता है और उसमें भी पुत्र के जन्म पर उसका ज़्यादा ज़ोर रहता है. इसी विचार के तहत जनसंघ के लोग पहले 'जिसके बच्चे हों दस बीस - उसकी मदद करें जगदीस' जैसे नारे लगाते थे. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर गोवा की तर्ज पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया तो इससे सबसे ज़्यादा नुकसान हिंदू युवतियों को होगा क्योंकि कोई भी पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहेगी कि 21 साल में ही वो माँ बन जाए. ऐसी स्थिति में या तो उसे बच्चा पैदा करना पड़ेगा या फिर उसका पति दूसरा शादी कर लेगा. इसीतरह अगर हिंदू महिला ने 30 की उम्र तक लड़के को जन्म नहीं दिया तो उसका पति दूसरा विवाह कर लेगा. 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूसीसी मुद्दे पर 21 वें लॉ कमीशन की रिपोर्ट सरकार को माननी चाहिए जिसमें इसे विविधता विरोधी और गैर ज़रूरी बताया गया था. 


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