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अब तो सुप्रीम कोर्ट भी मान गया कि सरकार के दबाव में यूपी की न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है- शाहनवाज़ आलम

 


नई दिल्ली, 12 जनवरी 2025. सुप्रीम कोर्ट का इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामलों को दाखिल करने और सूचीबद्ध करने की ध्वस्त प्रणाली पर चिंता व्यक्त करना साबित करता है कि उत्तर प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह राज्य सरकार के दबाव में ध्वस्त हो चुकी है। कोर्ट का एक बड़ा हिस्सा सरकार के प्रभाव में विपक्ष के लोगों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना कर रहा है जैसा कि विधायक अब्बास अंसारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से स्पष्ट होता है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए घातक है। इसके खिलाफ़ नागरिक समाज और राजनीतिक दलों को आवाज़ उठानी चाहिए। 

ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 177 वीं कड़ी में कहीं। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संभल हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर - मस्जिद विवादों पर अगले आदेश तक रोक का निर्देश दिया था लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की नीयत से कुआं और बावड़ी की खुदाई के नाम पर नये विवाद खड़ा करने की साज़िश कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री संभल समेत कई मस्जिदों को मस्जिद कहने पर भी आपत्ति करके मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों को उकसा रहे हैं। उनका यह रवैय्या सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन ही नहीं बल्कि उसे चुनौती देने के समान है। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि योगी आदित्यनाथ देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने खिलाफ़ मुकदमों में ख़ुद को ही क्लीन चिट दे दिया था। वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और संविधान की प्रस्तावना में से सेकुलर और समाजवादी शब्द हटाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ़ भी सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की थी। यहाँ तक कि शेखर यादव जैसे सांप्रदायिक द्वेष रखने वाले जज के पक्ष में भी टिप्पणी की थी, जिसके खिलाफ़ ख़ुद सुप्रीम कोर्ट कार्यवाई कर रहा है। 
इन तमाम नज़ीरो से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री आदतन न्यायपालिका के खिलाफ़ बोलते हैं। जिसपर सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाई करनी चाहिए। 
 

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