सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संभल दंगे के साथ ही दीनदयाल उपाध्याय की हत्या की भी जाँच कराले योगी सरकार- शाहनवाज़ आलम

 


लखनऊ, 11 जनवरी 2025. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने योगी सरकार द्वारा 1978 में संभल में हुए दंगे की जाँच कराने के निर्देश पर कहा है कि योगी सरकार को इसी के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 1968 में मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर हुई हत्या की भी जाँच करा लेनी चाहिए।

लखनऊ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा दीनदयाल उपाध्याय की 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर संदेहास्पद स्थिति में हुई हत्या की कभी जांच की मांग नहीं करती क्योंकि उसे लगता है कि इसमें भाजपा के पूर्व अवतार जनसंघ के नेताओं की ही भूमिका सामने आ सकती है। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष बलराज मधोक ने अपनी पुस्तक ‘जिंदगी का सफर’ के तीसरे खंड 
में दीनदयाल हत्या कांड के संदर्भ में रहस्योद्घाटन किया था कि उन्हें अपने सूत्रों से पता चला था कि हत्या में जनसंघ के ही कुछ वरिष्ठ नेता शामिल थे और ये पार्टी पर नियंत्रण के लिए चल रहे आंतरिक संघर्ष का नतीजा था। 

पुस्तक में मधोक ने यह भी रहस्योद्घाटन किया था कि तत्कालीन सरकार द्वारा इस हत्या कांड की जारी जांच को अटल बिहारी बाजपेयी और नाना जी देशमुख ने बाधित किया और उसे ठंडे दिमाग से किए गए हत्या के बजाए एक दुखद दुघर्टना के बतौर प्रचारित किया।

मधोक ने अपने दावे के समर्थन में इस तथ्य को भी पुस्तक में दर्ज किया था कि 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तब सुब्रह्मणयम स्वामी ने तत्कालीन गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह से दोबारा जांच की मांग की, लेकिन जनसंघ के मंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने इस प्रयास को बाधित कर दिया।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या द्वारा प्रयागराज में दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा एक साथ लगाने पर शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह दुनिया की ऐसी पहली घटना होगी जिसमें मारे गए व्यक्ति और उसकी हत्या के संदिग्ध व्यक्ति की मूर्ति एक साथ लगी हो। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर भाजपा सरकार सच में दीनदयाल उपाध्याय को श्रधांजलि देना चाहती तो बलराज मधोक की पुस्तक में दर्ज तथ्यों के आधार पर उनकी हत्या की जाँच के लिए आयोग गठित करती।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...