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नववर्ष 2025: बुधवार से शुरू,बुधवार पर खत्म

 शताब्दी में तीसरी बार आया, ऐसा कैलेंडर


नववर्ष 2025 का शुभारम्भ 'बुधवार' से प्रारंभ होकर 'बुधवार' के दिन ही खत्म हो रहा है। दिन और दिनांको के संयोग से बना ऐसा कैलेंडर 21वीं सदी तीसरी बार आया है। इससे पूर्व यही कैलेंडर इसी सदी में  पहले भी दो बार 2003 एवं 2014 में आ चुका है। इस सदी में 2025 के कलेण्डर की पुनरावृत्ति का ऐसा संयोग कुल 11 बार आयेगा। 

सदी में इस कलेण्डर की पुनरावृत्ति का संयोग आगामी वर्षों 2031, 2042, 2053, 2059, 2070, 2081, 2087 तथा 2098 में भी आयेगा। विगत सदी में भी इस वर्ष के कलेण्डर की पुनरावृत्ति का ऐसा संयोग कुल 11 बार 1902, 1913, 1919, 1930, 1941, 1947, 1958, 1969, 1975,1986 एवं 1997 में भी आया था। कलेण्डरो की पुनरावृत्ति होना एक सामान्य गणितीय प्रकिया के अनुसार ही होती है। किसी कैलेंडर के दोहराने की प्रक्रिया एक सामान्य वर्ष के लिए एक ही शताब्दी में 11 या 6 वर्षों के बाद आती है। 

सामान्य वर्ष के कैलेंडर कुल सात प्रकार के  होते हैं। लीप वर्ष के कैलेंडर भी कुल सात प्रकार के ही होते हैं। एक सामान्य वर्ष में 365 दिन होते हैं, जिसमें 52 सप्ताह एवं एक दिन अतिरिक्त होता है। इसलिए 1 जनवरी का दिन वही होता है, जो 31 दिसंबर का दिन होता है। कलेण्डर से जुड़े ऐसे ही रोचक तथ्यों को लखनऊ पब्लिक स्कूल के गणित शिक्षक अतुल सक्सेना ने अपने सैकड़ों वर्षों के लिए स्वनिर्मित अंक-कोड तालिका के आधार पर प्रस्तुत किया हैं। 

किसी भी वर्ष के लिए अंक-कोड कलेण्डर मुँह-जुबानी भी बनाया जा सकता है। वर्ष 2025 के कलेण्डर के लिए जनवरी से फरवरी तक के महीनो के लिए माह-अंक कोड क्रमश: 2,5,5,1,3,6,1,4,0,2,5,0 है। किसी दिनांक में उसका माह अंक-कोड जोड़ने पर आये योग को सात से भाग करने पर प्राप्त शेषफल से ही दिन के अंक का बोध होता है। रविवार से शनिवार तक के लिए दिन अंक-कोड क्रमशः शून्य से लेकर छह तक निर्धारित है। 
 
सात से कम योग की स्थिति में योगफल ही दिन अंक-कोड के ही बराबर होता है। 26 जनवरी 2025 का दिन जानने के लिए 26 में जनवरी माह का अंक-कोड 2 जोड़ने पर प्राप्त योगफल 28 को 7 से भाग करने पर प्राप्त शेषफल शुृृन्य ही दिन रविवार का होना बताता है। जबकि 2 अप्रैल 2025 के लिए 2 में माह अंक-कोड 1 जोड़ने पर योगफल 3 आता है, जो 7 से कम है। ऐसी स्थिति में योगफल 3 ही दिन-अंक 'बुधवार' का होना बताता है।

 

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