वायनाड, 8 नवम्बर 2024. कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़
आलम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक
दर्जे के पक्ष में फैसला देने का स्वागत किया है।
शाहनवाज़
आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट में मोदी
सरकार ने हलफनामा देकर कहा था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा
नहीं दिया जा सकता। जबकि पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की कांग्रेस नीत यूपीए
सरकार ने एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने की वकालत की थी।
उन्होंने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कांग्रेस के स्टैंड को
वैधानिक तौर पर सही साबित कर दिया है।
उन्होंने
कहा है कि इस फैसले के बाद संविधान का अनुछेद 30, जो अल्पसंख्यक वर्गों को
अपने शैक्षिक संस्थानों को निर्मित और संचालित करने का अधिकार देता है, की
अक्षुणता पर भी किसी तरह का भ्रम नहीं रह जाता है।
कांग्रेस
राष्ट्रीय सचिव और बिहार सह प्रभारी शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज के फैसले
में सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कि 'संविधान के पहले के और उसके बाद के जो
इरादे हों उनके बीच अंतर अनुच्छेद 30(1) को कमजोर करने के लिए नहीं किया
जा सकता'', भाजपा और आरएसएस के उस तर्क को ख़ारिज करता है जिसमें एएमयू के
अल्पसंख्यक दर्जे को इस आधार पर छीनने की साज़िश रची जा रही थी कि संविधान
लागू होने से पहले अल्पसंख्यक समुदाय ने इसे स्थापित किया था इसलिए संविधान
लागू होने के बाद यह दर्जा नहीं रह सकता।
उन्होंने
कहा कि आरएसएस और भाजपा एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को छीनने का आधार यह भी
बता रहे थे कि एएमयू ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक्ट से मान्यता पाया था
इसलिए इसे अल्पसंख्यक दर्जा नहीं दिया जा सकता। यह तर्क कुछ ऐसा ही था जैसे
कोई कहे कि भारत की आज़ादी का श्रेय गाँधी, नेहरू, मौलाना आज़ाद, भगत सिंह
और लाखों स्वतंत्रता सेनानीयों को नहीं जाता बल्कि इंग्लैंड की संसद को
जाता है जिसने इंडिया इंडिपेंडेंट एक्ट पास कर भारत को अपने उपनिवेश से
स्वतंत्र किया था।
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