डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल सरकार के पक्ष में झुकाव के लिए याद किया जाएगा- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ,
13 अक्टूबर 2024. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़
आलम ने कहा है कि अगले महीने रिटायर होने वाले मुख्य न्यायाधीश डीवाई
चंद्रचूड़ को इतिहास ऐसे मुख्य न्यायाधीश के बतौर याद रखेगा जो निजी
कार्यक्रमों में पीएम से मिलकर शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को ध्वस्त
करने और आरएसएस के वैचारिक एजेंडे के रास्ते में आने वाली संवैधानिक
बाधाओं को खत्म करने की कोशिश करते थे. इसके लिए उन्होंने 20 वजहें बतायी
हैं. ये बातें उन्होंने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 164 वीं कड़ी में
कहीं.
गौरतलब है कि मुख्य
न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले दिनों भूटान के जिग्मे सिंग्ये
वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ के तीसरे दीक्षांत समारोह के दौरान कहा था कि वो सोचते
हैं कि आखिर इतिहास उनके कार्यकाल को किस तरह से याद रखेगा.
शाहनवाज़ आलम ने डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल की सरकार के आगे नतमस्तक होने की छवि बनने की निम्न 20 वजहें बतायी हैं-
1-
उनके कार्यकाल को पूजा स्थल अधिनियम 1991 को खत्म करने के आरएसएस के
संविधान विरोधी एजेंडे में सहयोग करते हुए पूरे देश में इसे चुनौती देने
वाली याचिकाओं को स्वीकार करने के लिए याद रखा जाएगा. जबकि इस अधिनियम में
स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसे चुनौती देने वाली कोई याचिका किसी कोर्ट,
आयोग या प्राधिकरण में स्वीकार नहीं की जा सकती.
2-
संविधान की प्रस्तावना से पंथनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को हटाने की भाजपा
नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को स्वीकार करने के लिए याद रखा जाएगा.
जबकि सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में कह चुका है कि मौलिक ढांचे में कोई
बदलाव किया ही नहीं जा सकता.
3-
मुसलमानों के खिलाफ़ सांप्रदायिक द्वेष से भाजपा सरकारों द्वारा उनके घरों
पर बुल्डोजर चलाए जाने पर दायर याचिकाओं पर सिर्फ़ खानापूर्ति करते हुए
राज्यों को नोटिस भेजने के लिए याद किया जाएगा.
4-
आरएसएस और भाजपा नेताओं- कार्यकर्ताओं द्वारा मुसलमानों के खिलाफ़ राज्य
मशीशनरी के दुरूपयोग और संगठित हिंसा से जुड़े किसी भी मुद्दे पर स्वतः
संज्ञान नहीं लेने के लिए भी उनके कार्यकाल को याद किया जाएगा. सुप्रीम
कोर्ट भूल ही गया था कि ऐसी घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेना भी उसकी
ज़िम्मेदारी है.
5- दलितों में आप ऐसे मुख्य न्यायाधीश के बतौर याद किए जाएंगे जिनके कार्यकाल में आरक्षण को कमज़ोर करने वाले कई फैसले आए थे.
6-
आरएसएस के मनुवादी एजेंडे में बाधा साबित हो रहे संविधान और उसके
प्रगतिशील मूल्यों को कमज़ोर करने के लिए एक रणनीति के तहत उन्हें गुजरात
के किसी मन्दिर में जाकर धर्म ध्वजा को न्याय का ध्वज बताने की साज़िश के
लिए याद रखा जाएगा. जब ऐसा करते हुए वह भूल गए थे कि बाबा साहब अंबेडकर को
दलितों के मन्दिर प्रवेश के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा था.
7-
उनके कॉलेजियम द्वारा मुसलमानों, दलितों और ईसाइयों के खिलाफ़ नफ़रती भाषण
देने वाली तमिलनाडु की भाजपा महिला मोर्चा की नेत्री विक्टोरिया गौरी को
चेन्नई हाई कोर्ट का जज नियुक्त कर दिया था.
8-
जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए भारत के संविधान की प्रस्तावना
में सेकुलर शब्द की मौजूदगी को कलंक बताने वाले पंकज मित्तल को सुप्रीम
कोर्ट का जज नियुक्त कर दिया गया था.
9-
फ़र्ज़ी मुठभेड़ों के आरोप में अमित शाह को जेल भेजने वाले गुजरात हाई
कोर्ट के जज अक़ील क़ुरैशी को वरिष्ठता के बावजूद केंद्र सरकार के दबाब में
सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त नहीं किया गया था.
10- जस्टिस लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हत्या की जांच कराने से इनकार कर देने के लिए भी याद रखा जाएगा.
11-
सरकार के दबाव अथवा संदिग्ध कारणों से बेल नियम और जेल अपवाद का सिद्धांत
उमर खालिद, गुल्फिशा फ़ातिमा और मीरान हैदर आदि भाजपा विरोधी छात्र नेताओं
और कार्यकर्ताओं पर लागू करने से डरने के कारण याद रखा जाएगा.
12-
हर चुनाव के समय हत्या और बलात्कार के अपराध में सज़ा काट रहे
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी के क़रीबी रामरहीम को परोल पर छोड़ने के
लिए याद रखा जाएगा. आपके रिटायर होने से सबसे ज़्यादा दुखी वही होगा.
13-
मणिपुर के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन की संविधान विरोधी
टिप्पणी के बाद कुकी आदिवासियों के खिलाफ़ हुई राज्य प्रायोजित हिंसा पर
उनके विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाई करने की बात कहने के बावजूद कोई कार्यवाई
नहीं किए जाने के लिए याद किया जाएगा. जिसके कारण हज़ारों लोगों की जान चली
गयी.
14- अनुछेद 32 का
मज़ाक बनाने और सेलेक्टिव एप्रोच के लिए याद किया जाएगा. जब भाजपा से जुड़े
नेताओं और पत्रकारों को तो राहत दे दी गयी लेकिन एक विपक्षी मुख्यमंत्री
को सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट भेज दिया गया. यहाँ तक कि अनुछेद 32 के तहत
डाली गयी मणिपुर के लोगों की याचिकाओं को हाई कोर्ट भेज दिया गया.
चंद्रचूड़ जी भूल गए कि बाबा साहब अम्बेडकर ने अनुछेद 32 को संविधान की
आत्मा बताया था.
15- गैर
भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों के केंद्र सरकार के इशारे पर विधान सभा
द्वारा पास करके भेजे गए विधायकों पर लम्बे समय तक हस्ताक्षर न किए जाने की
शिकायत पर कोई ठोस कार्यवाई न करने के लिए याद रखा जाएगा. जिससे केंद्र और
राज्यों के संघवादी ढांचे पर विपरीत असर पड़ा.
16- जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे को खत्म कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने के असंवैधानिक कृत्य पर आपकी चुप्पी
के लिए याद रखा जाएगा.
17-
चंद्रचूड़ जी ने एलेक्टोरल बॉण्ड को असंवैधानिक तो बताया लेकिन उसमें हुई
पैसों की लेन-देन की जांच न कराकर सरकार के भ्रष्टाचार को छुपाने में मदद
की.
18- केंद्र सरकार के
एजेंडे से जुड़े मामलों को कुछ चुनिंदा जजों जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के जजों
और वकीलों के बीच गोदी जज कहा जाता है की बेंच में भेजने के लिए आपको याद
रखा जाएगा. जिसपर आपने इतनी अति कर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के
पूर्व अध्यक्ष को इसपर आपके नाम खुला पत्र लिखना पड़ा था.
19-
आपको इसलिए भी याद रखा जाएगा कि आपके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ जी के
सीजेआई रहते हुए जिन बीएन कृपाल जी को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया
गया था और जिनके कॉलेजीयम के सदस्य रहते हुए आपको हाईकोर्ट का जज बनाया गया
था उनके बेटे सौरभ कृपाल को जज बनवाने के लिए आपने असफल लेकिन बहुत मेहनत
की थी.
20- आपको इसलिए भी
याद किया जाएगा कि आपने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे
को खत्म करने के मुद्दे पर सुनवाई पूरी हो जाने के बाद भी फैसला सुनाने में
बहुत देर की थी. जिसपर समाज में ऐसी चर्चा थी कि अपने कार्यकाल के आख़िरी
दिन शायद आप भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति के अनुकूल फैसला देने की फिराक
में थे.
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