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‘बुलडोज़र एक्शन’ पर SC सख़्त " कोर्ट ने पूछा किसी का घर केवल इसी आधार पर कैसे ढहाया जा सकता है कि वो किसी मामले में अभियुक्त है?”




नई दिल्ली : देश के कई राज्यों में अभियुक्तों की संपत्ति के ख़िलाफ़ कथित तौर पर 'बुलडोज़र एक्शन' की कार्रवाई करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख़्त टिप्पणी की.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने कहा कि किसी का घर सिर्फ़ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह अभियुक्त है.

बेंच ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट दिशानिर्देश तय करेगा जिसके आधार पर ही जब भी तोड़फोड़ की कार्रवाई की ज़रूरत होगी तो उसी आधार पर वो की जाएगी.

जस्टिस बीआर गवई ने उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, "किसी का घर केवल इसी आधार पर कैसे ढहाया जा सकता है कि वो किसी मामले में अभियुक्त है?”

इसके आगे जस्टिस गवई ने कहा, “कोई व्यक्ति दोषी भी है तो बिना क़ानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता."

राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी भी इमारत को ढहाने की कार्रवाई इसलिए नहीं की गई है कि वो शख़्स किसी अपराध में अभियुक्त था.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'हमने एफिडेविट के माध्यम से दिखाया है कि नोटिस काफ़ी पहले ही भेजा गया था.'

उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि ढहाने की प्रक्रिया एक स्वतंत्र मामला है जिसका किसी भी अपराध से कोई संबंध नहीं है.

वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे और सीयू सिंह ने इसके जवाब में कहा कि घर इस कारण ध्वस्त किए गए क्योंकि वो किसी मामले के अभियुक्त हैं.

बेंच ने इसी दौरान मौखिक तौर पर कहा कि किसी भी इमारत को ढहाने के लिए क़ानून मौजूद हैं, लेकिन इसकाअधिक बार उल्लंघनदेखा गया है.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये भी साफ़ कहा है कि, "हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि किसी भी अनाधिकृत निर्माण को संरक्षण देंगे."

बेंच ने दोनों पक्षों से कहा है कि वो इस मामले में दिशानिर्देश तय करने के लिए सुझाव के साथ उसके पास आएं और इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को तय की गई है.

 

 

 


 

 

 

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