मोदी कैबिनेट ने दी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी, शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश होने की संभावना
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराने की वकालत की गई है. साथ ही, इसने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया.
कोविंद पैनल ने 15 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें पहले कदम के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी, जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने थे.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा: “1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए. 1999 में विधि आयोग ने लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक ही चुनाव की सिफारिश की थी… ताकि विकास जारी रहे, खर्च कम से कम हो और चुनाव ड्यूटी में सुरक्षा बलों के लगने से कानून-व्यवस्था बाधित न हो.”
उन्होंने कहा, “आज का युवा और आज का भारत” तेजी से विकास की आकांक्षा रखता है, जिसे कई चुनावी प्रक्रियाओं से बाधित नहीं किया जाना चाहिए. “हमें इस पर देश के विभिन्न मंचों से सुझाव मिले.”
आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में “वन नेशन, वन इलेक्शन” के लिए विधेयक पेश किए जाने की संभावना है.
सामान्य मतदाता सूची, 18 संवैधानिक संशोधन: कोविंद पैनल
पिछले साल सितंबर में गठित कोविंद पैनल ने अपनी सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक “कार्यान्वयन समूह” स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था.
पैनल ने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी, विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा, “लोकतांत्रिक ढांचे की नींव” मजबूत होगी और “भारत” की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी.
इसने यह भी सिफारिश की कि भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एक सामान्य मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार किए जाएं.
वर्तमान में, ईसीआई लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनावों का प्रबंधन राज्य चुनाव आयोगों द्वारा किया जाता है.
पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी. हालाँकि, इसके लिए संसद द्वारा कुछ संविधान संशोधन विधेयकों को पारित करने की आवश्यकता होगी.
सिंगल इलेक्टोरल रोल और सिंगल वोटर आईडी के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी.
इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट पेश कर सकता है, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोरदार वकालत की है. सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग वर्ष 2029 से सरकार के तीनों स्तरों-लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है और सदन में बहुमत न होने या अविश्वास प्रस्ताव आने की स्थिति में “एकजुट सरकार” के लिए प्रावधान कर सकता है.
इस बीच, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव “व्यावहारिक नहीं है.” खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, “वे (मोदी सरकार) चुनाव आने पर ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दे उठाते हैं.”
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