इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की संविधान विरोधी टिप्पणी को फैसले से हटाने का निर्देश स्वागत योग्य- शाहनवाज़ आलम
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सितंबर 2024. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव और उत्तर
प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने सुप्रीम
कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल की धर्मांतरण को
लेकर की गयी संविधान विरोधी टिप्पणी को फैसले से हटाने के दिए गए निर्देश
का स्वागत किया है.
गौरतलब
है कि 2 जुलाई को धर्मांतरण के एक आरोपी की ज़मानत याचिका को खारिज़ करते
हुए जज रोहित रंजन अग्रवाल ने टिप्पणी की थी कि ‘भोले भाले गरीबों को
गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा है और धर्मांतरण जारी रहा तो एक दिन भारत की
बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी’. उनकी इस सांप्रदायिक टिप्पणी को
फैसले से हटाने की मांग के साथ उत्तर प्रदेश अल्पस्यंखक कांग्रेस ने 8
जुलाई को प्रदेश भर से मुख्य न्यायाधीश को संबोधित ज्ञापन भेजा था.
शाहनवाज़
आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जजों की ऐसी टिप्पणीयों में एक
खास तरह का संविधान विरोधी पैटर्न दिखता है जिसका उद्देश्य धर्मनिरपेक्ष
राज्य व्यवस्था पर आरएसएस की बहुसंख्यकवादी व्यवस्था के विचार को थोपना है.
इससे पहले बरेली के ज़िला जज रवि कुमार दिवाकर ने भी 9 मार्च 2024 को दिये
एक फैसले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते
हुए उन्हें ‘दार्शनिक राजा’ की संज्ञा दी थी. जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
फैसले से हटा देने का आदेश दिया था.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि ऐसी टिप्पणीयों को फैसलों से हटा देने का आदेश ही पर्याप्त
नहीं है बल्कि टिप्पणी करने वाले जजों के खिलाफ़ दंडनात्मक कार्यवाई की
जानी चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट को यह भी सोचना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री
और मुख्य न्यायाधीश अनौपचारिक कार्यक्रमों में एक दूसरे के साथ दिखेंगे तो
अन्य जजों में सरकार की विचारधारा को पसंद आने वाली भाषा बोलने का चलन
बढ़ेगा.
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