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'जमानत नियम, जेल अपवाद है', बिहार से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी


 

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आरोपी व्यक्ति को जमानत दी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विशेष कानूनों के तहत अपराधों में भी 'जमानत नियम है, जेल अपवाद है' का सिद्धांत लागू होता है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि अगर अदालतें उचित मामलों में जमानत से इनकार करना शुरू कर देंगी तो ये बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होगा।

'जमानत नियम है, जेल अपवाद है'

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'अभियोजन पक्ष के आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं, लेकिन कानून के अनुसार जमानत के मामले पर विचार करना अदालत का कर्तव्य है। जमानत नियम है और जेल अपवाद है, यह सिद्धांत विशेष कानूनों पर भी लागू होता है। अगर अदालतें उचित मामलों में जमानत देने से इनकार करना शुरू कर देंगी, तो यह अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन होगा।'

बिहार में पकड़े गए थे संदिग्ध आतंकी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुसार जांच से पता चला है कि यह आपराधिक साजिश आतंकवादी और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने के इरादे से रची गई थी, जिससे आतंक का माहौल पैदा हो और देश की एकता और अखंडता को खतरा हो। अपनी साजिश को आगे बढ़ाते हुए आरोपियों ने फुलवारीशरीफ (पटना) में अहमद पैलेस में किराए पर आवास की व्यवस्था की और इसके परिसर का उपयोग हिंसक कृत्यों को अंजाम देने के प्रशिक्षण और अपराध की साजिश रचने के मकसद से बैठकें आयोजित करने के लिए किया।

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