जब सरकार ने लैटरल एंट्री को असंवैधानिक मान लिया तो पूर्व की नियुक्तियां भी रद्द हों- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ, 27 अगस्त 2024. मोदी सरकार के कार्यकाल में लैटरल
एंट्री के माध्यम से नियुक्त हुए व्यक्तियों को पद से हटाने और उन्हें दिए
गए वेतन की वसूली करने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश भर से
प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है.
अल्पसंख्यक
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस
विज्ञप्ति में कहा है कि पिछले दिनों 17 अगस्त 2024 को मोदी सरकार द्वारा
जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डेप्युटी डायरेक्टर पोस्ट हेतु 45
नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. जिसके बाद जननायक और नेता
प्रतिपक्ष श्री राहुल गाँधी ने 19 अगस्त को इन नियुक्तियों को पिछड़ों,
दलितों और आदिवासीयों को मिले आरक्षण के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताते
हुए इसे रद्द करने की मांग की थी. उनकी इस मांग के बाद दूसरे दिन 20 अगस्त
को मोदी सरकार द्वारा लैटरल एंट्री के लिए जारी विज्ञापन को आरक्षण का
प्रावधान न होने का हवाला देते हुए वापस ले लिया गया. लेकिन सवाल है कि
2019 से अब तक जिन 63 लोगों की लैटरल एंट्री के ज़रिये नियुक्तियां हुई हैं
उन्हें भी क्यों नहीं पद से हटाया गया?
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि जब यह योजना गैर संवैधानिक पाए जाने के कारण ही रद्द की गयी
तो तार्किक तौर पर पूर्व में इस असंवैधानिक योजना से नौकरी पाए लोगों की
नियुक्तियां भी स्वतः अवैध हो जाती है. इन 63 में से 6 लोग तो सरकार से
मोटी तनख़्वाह लेकर फ़िर से वापस निजी सेक्टर में भाग चुके हैं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि ज्ञापन के माध्यम से मांग की गयी है कि सरकार इन लोगों को
तत्काल पद से हटाए और उन्हें दिये गए वेतन और अन्य भत्तों की तय समय सीमा
में वसूली सुनिश्चित करे.
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