सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एससी-एसटी आरक्षण के बंटवारे का फैसला संविधान विरोधी- शाहनवाज़

 




लखनऊ, 4 अगस्त 2024. एससी और एसटी आरक्षण में वर्गीकरण का सुप्रीम कोर्ट का आदेश आरक्षण के सामाजिक आधार को खत्म कर उसे आर्थिक आधार प्रदान करने की साज़िश का हिस्सा है. इसीलिए इसे न्यायिक फैसले के बजाए राजनीतिक फैसला कहा जाना चाहिए. यह बाबा साहब के सामाजिक न्याय के सपने पर आरएसएस का अब तक का सबसे बड़ा हमला है जो उसने न्यायपालिका के एक हिस्से को आगे करके किया है. 

ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 156 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके थे कि भाजपा एससी और एसटी के आरक्षण में बंटवारा करना चाहती है. यह फैसला मोदी सरकार की मंशा के अनुरूप है. सबसे अहम कि बाबा साहब अंबेडकर ने बहुत प्रयासों से दलितों के आरक्षण को केंद्र का विषय बनाया था इसलिए इस फैसले द्वारा दलितों के आरक्षण को राज्यों के हवाले कर देना बाबा साहब के सपने की हत्या करने के बराबर है. जिसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती.

उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सुप्रीम कोर्ट सामाजिक तौर पर मजबूत श्रेणि में गिने जाने वाले सवर्णों के लिए ईडब्ल्यूएस की श्रेणि में आरक्षण देने का फैसला देता है लेकिन दूसरी तरफ दलित और आदीवासी वर्गो के लिए सामाजिक आधार पर तय किये गए आरक्षण को आर्थिक आधार पर बांटना चाहता है. इस अंतरविरोध से सुप्रीम कोर्ट की मंशा संदिग्ध हो जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी तर्क सुप्रीम कोर्ट नहीं दे पाया है जिससे इस फैसले को संविधान सम्मत कहा जा सके. लोगों में ऐसी चर्चा है कि आरएसएस का गीत गाने वाले दलित समाज से आने वाले जस्टिस गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना तय हो गया है. ऐसी धारणा का बनना न्यायपालिका की छवि को खराब करता है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि एससी-एसटी के आरक्षण को बाँटने का फैसला सुनाने वाले जजों का रिकॉर्ड भी सार्वजनिक होना चाहिए. इसमें से एक पंकज मित्तल जम्मू कश्मीर के मुख्य नयायाधीश रहते संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द के होने को देश के लिए कलंक बता चुके हैं. जिन्हें हटाने की मांग को अनसुना कर उन्हें उल्टे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त कर दिया गया. 

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ संयोग नहीं हो सकता कि यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ यानी मौजूदा मुख्य न्यायाधीश के पिता जब 1978 से 1985 के बीच मुख्य न्यायाधीश थे तभी 1979 में बीएन कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था और जब बीएन कृपाल कॉलेजियम के सदस्य थे तब 
 डीवाई चंद्रचूड़ को मुंबई हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा कि देश के लिए सबसे घातक आरक्षण तो कॉलेजियम व्यवस्था में चल रहा है जिसके चलते जजों के बच्चे पीढ़ी दर पीढी जज बनते जा रहे हैं और सरकारों के अनुकूल फैसले देकर गवर्नर और सांसद बन जा रहे हैं.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...