मुस्लिम सांसदों की संख्या में कमी देश के लिए चिंता का विषय- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ,
16 जून 2024. पिछली बार 26 के मुकाबले इस बार सिर्फ़ 24 मुस्लिम सांसदों
का लोकसभा पहुंचना देश और सेकुलर पार्टियों के लिए चिंता का विषय होना
चाहिए. मुसलमानों की आबादी साढ़े 14 प्रतिशत है और संसद में उनका
प्रतिनिधित्व सिर्फ़ 4.41 प्रतिशत है. सिर्फ़ भाजपा को हराने के एकसूत्रीय
एजेंडा से चुनावी प्रक्रिया में शामिल होते जाना मुसलमानों के राजनैतिक
वजूद के लिए अत्मघाती साबित हो रहा है. सभी समुदायों को उनकी आबादी के
अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया जाना ही समावेशी लोकतंत्र की
बुनियाद है. ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने
साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 149 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में विधायकों की संख्या 400
से ज़्यादा है लेकिन उसमें भी मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी सिर्फ़ 6
प्रतिशत है. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात जैसे
राज्यों से एक भी मुस्लिम सांसद न होना इन राज्यों के सेकुलर राजनीतिक दलों
की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल उठाता है.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि मुस्लिम विहीन धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र भाजपा के फासीवादी
लोकतंत्र से ज़्यादा घातक है. क्योंकि दूसरे में उनकी हैसियत एक विपक्षी
राजनीतिक समुदाय की है जबकि पहले में उनकी हैसियत एक अदृश्य समुदाय की है.
देश की दूसरी सबसे बड़ी धार्मिक आबादी को अदृश्य बनाकर कोई भी सेकुलर
लोकतांत्रिक मुल्क नहीं चल सकता.
उन्होंने
मुसलमानों से अपील की कि अन्य वर्गों की तरह वो भी किसी को हराने के बजाये
किसी को जीताने के लिए वोट करें तभी पार्टियां उन्हें टिकटों में
प्रतिनिधित्व देंगी जैसा कि 1989 से पहले मुस्लिम किया करते थे. उन्होंने
कहा कि मुसलमानों की पोज़िटिव वोटिंग के कारण ही 1980 में 49 और 1984 में
45 मुस्लिम सांसद हुए थे.
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे से स्पष्ट है कि कथित सवर्ण
जातियों का 80 प्रतिशत मत भाजपा को गया है. इसकी एक बड़ी वजह सवर्ण नेताओं
द्वारा भाजपा के विभाजनकारी मुद्दों के मुकाबले राहुल गाँधी के प्रगतिशील
एजेंडा को अपने समाज तक पहुंचा पाने में असफल होना रहा. यह स्थिति न तो इस
वर्ग के लिए अच्छा है और न देश के लिए. उन्होंने कहा कि सवर्ण समाज में
वैचारिक प्रतिबद्धता वाले नए चेहरों को आगे लाकर भाजपा के प्रभाव से इस
वर्ग को मुक्त कराना सबसे ज़रूरी काम है जिसे करना होगा.
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