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लोकसभा चुनाव परिणाम चार जून को आने पर कामरेड अमरा राम सबसे अधिक मतो से जीत सकते है।

 



             ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
             देश भर मे हो रहे लोकसभा चुनाव का आज सातवां व अंतिम चरण पूरा होने के बाद अब सब की नजर चार जून को आने वाले परिणाम पर लगी हुई है। राजस्थान की सभी पच्चीस सीटो पर पहले व दुसरे चरण मे मतदान हुवा। जिनके परिणाम मे इण्डिया गठबंधन बढत बना सकता है। इण्डिया गठबंधन के प्रदेश से जीतने वाले उम्मीदवारों मे सीकर से रहे उम्मीदवार कामरेड अमरा राम की जीत सबसे अधिक मतो वाली हो सकती है। कामरेड अमरा राम व उम्मेदा राम मे सबसे अधिक मतो से जीतने वालो मे पहले दुसरे नम्बर के लिये मुकाबला हो सकता है।
          हालांकि सीकर की सीट गठबंधन के तहत माकपा के खाते मे जाने पर कामरेड अमरा राम की उम्मीदवारी को एक दफा सबने हलके मे लिया। भाजपा खेमा अपनी जीत चार पांच लाख के अंतर से जीत का दावा करने लगे। लेकिन चुनाव चढते चढते मतदाताओं ने रंग बदलना शूरु करके चुनाव बराबरी पर लाकर बढत की तरफ खींचते नजर आने लगे। राजस्थान मे इण्डिया गठबंधन के साथी माकपा को मात्र एक सीट सीकर की मिलने पर पार्टी ने कामरेड अमरा राम को उम्मीदवार बनाया । जो 1989 मे बीकानेर से कामरेड श्योपत सिंह से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अमरा राम दुसरे जीतने वाले उम्मीदवार होगे। सीकर लोकसभा चुनाव के लिये कुल बाराह लाख चोहतर हजार दो सो बहतर मतदाओ ने मताधिकार का उपयोग किया है। जिनमे से साठ प्रतिशत से अधिक मत अमरा राम को मिलने की सम्भावना जताई जारही है।
     एससी एसटी के अस्सी प्रतिशत से अधिक व मुस्लिम मतदाओ का शतप्रतिशत मत कामरेड अमरा राम के पक्ष मे चुपचाप पड़े है। जबकि जाट-यादव व गुर्जर सहित किसान प्रवृत्ति की अन्य जातियों ने भी अमरा राम के पक्ष मे बढचढकर मतदान किया है। मजदूर-गरीब व लाचार सहित प्रताड़ित तबके ने भी अमरा राम को अपना साथी मानकर मतदान किया है। राजपूत मतदाओ का मतदान प्रतिशत कम रहा बताते।
             कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान मे इण्डिया गठबंधन की बाराह से अठारह के मध्य सीट आने की सम्भावन जताई जा रही है। जिनमे सीकर के गठबंधन उम्मीदवार अमरा राम की सबसे अधिक मतो से जीतने की सम्भावन है। पहले चरण की बाराह सीटो मे से तो अमरा राम की सबसे बडी जीत होना निश्चित है। अमरा राम की जीत मे उनकी उज्जवल व संघर्षशील नेता की छवि के साथ भाजपा उम्मीदवार का व्यक्तिगत विरोध व उनकी जनता से दूरी होना बडा कारण माना जा रहा है।

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