सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भाजपा सनातन व्यवस्था लागू करना चाहती है जिसमें दलितों-पिछड़ों को कोई अधिकार नहीं था- शाहनवाज़ आलम

लखनऊ, 14 अप्रैल 2024। संविधान को बचाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन की सरकार बनानी ज़रूरी है. अगर भाजपा एक बार और सत्ता में आ गयी तो संविधान बदलकर फिर से सनातनी व्यवस्था लागू कर देगी. ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 140 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा और आरएसएस लम्बे समय से प्राचीन यानी सनातन व्यवस्था लागू करने की बात करती रही है. सनातन व्यवस्था में क़ानून बनाने का अधिकार आम लोगों को नहीं था. ब्राह्मण क़ानून बनाते थे जिसमे शूद्रों को पढ़ने और संपत्ति रखने का अधिकार नहीं होता था. भाजपा दलितों और पिछड़ों को संविधान में मिले शिक्षा और संपत्ति के अधिकार को छीन कर फिर से सनातनी व्यवस्था लागू करना चाहती है. इसलिए इन तबकों को अपना एक-एक वोट इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को देना होगा.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 26 नवम्बर 1949 को बाबा साहब ने संविधान की प्रति प्रधानमंत्री नेहरू जी की मौजूदगी में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी को सौंपी थी। इसके चार दिन बाद 30 नवम्बर 1949 को ही आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में संविधान की जगह मनु स्मृति के शासन को लागू करने के पक्ष में लेख प्रकाशित हुआ। उन्होंने कहा कि देश का पहला चुनाव जनसंघ ने मंदीर में दलितों के प्रवेश और छुआछूत को अपराध घोषित करने के कानून के खिलाफ़ लड़ा था। वहीं इंदिरा गाँधी सरकार द्वारा 1976 में संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए समाजवादी और सेकुलर शब्द को भी भाजपा सरकारें हटाने की कोशिश करती रही हैं। संघ के मुखिया मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि वो संविधान को बदलना चाहते हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ऐसे में ज़रूरी है कि संविधान के समर्थक तबके केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनवाएं क्योंकि सिर्फ़ कांग्रेस ही संविधान की रक्षा कर सकती है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...