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राजस्थान के जाट बेल्ट मे कांग्रेस लोकसभा उम्मीदवार बढत बना सकते है।

 



           सीकर मे इण्डिया गठबंधन के उम्मीदवार कामरेड अमरा राम की नामांकन सभा मे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व भाजपा उम्मीदवार सुमेधानंद सरस्वती की नामांकन सभा मे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आकर एक तरह से चुनाव प्रचार की शुरुआत की।
              ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
               भाजपा द्वारा देश भर मे चारसौ पार व प्रदेश मे पच्चीस की पच्चीस सीट जीतने का दावा करने के बावजूद राजस्थान मे कांग्रेस द्वारा इण्डिया गठबंधन मे वामपंथी पार्टियों के अतिरिक्त राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को शामिल करके जाट बेल्ट मे भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश करके लगता है कि लोकसभा चुनाव मे टिकट घोषणा के साथ ही बढत बनाना शुरू कर दिया है। इस बढत का असर जाट बेल्ट की लगती सीटो पर भी धीरे धीरे नजर आयेगा।
               बाडमेर से नागौर होते हुये शेखावाटी व गंगानगर तक के जाट बेल्ट मे स्थानीय उम्मीदवारों के छवि व उनकी जनप्रियता के अलावा किसान आंदोलन व किसानों की विभिन्न मांगो के साथ साथ कुश्ती खिलाड़ियों के आंदोलन व उसमें सरकारी रुख एवं अग्निवीर स्कीम के साथ साथ इलेक्ट्रो बोंड जैसे प्रमुख मुद्दे पर चर्चा होने लगी है। जो चर्चा मतदान दिवस आते आते चरमसीमा तक पहुंच सकती है। दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी चर्चा मे चलने लगा है।
   

                  
सीकर की सीट इण्डिया गठबंधन द्वारा माकपा को समझोते मे देने पर माकपा ने अपने राज्य सचिव व संघर्षशील किसान नेता अमरा राम को उम्मीदवार बनाने से उनका सीकर मे पलड़ा भारी दिखने लगा है। वही माकपा से गठबंधन से अन्य सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को काफी लाभ मिल रहा है। गंगानगर व चूरु की सीट पर तो माकपा गठबंधन का काफी फायदा मिलने की सम्भावना जताई जाने लगी है। इसी तरह राजस्थान के दुसरे दिग्गज किसान नेता हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा को गठबंधन मे शामिल करने से भी कांग्रेस को लाभ होगा। हनुमान बेनीवाल गठबंधन के तहत नागौर से व कामरेड अमरा राम सीकर से अपनी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ रहे है। जिन दोनो का पलड़ा भारी हांका जा रहा है।
          
राजस्थान के शेखावाटी सहित इस जाट बेल्ट मे हर बिरादरी के करीब करीब परिवार का सैना से तालूक रहता आया है। सैनिक बनाने के लिये तैयार करने वाली डिफेंस एकेडमिया भी इसी क्षेत्र मे बडी मात्रा मे होती थी। अग्निवीर स्कीम चालू होने के बाद अनेक डिफेंस एकडेमी बंद हो गई। वहीं जो चालू है उनमे बच्चों की तादाद नाममात्र की होने के कारण उनके खर्चे निकलना मुश्किल हो गया। इसलिए क्षेत्र मे अग्निवीर योजना भी बडा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। इस मुद्दे से बडी तादाद मे परिवार प्रभावित है।
           राजस्थान की दोसौ विधानसभा सीट मे से मात्र बांसवाड़ा की बागीदौरा व सीकर की दांतारामगढ़ नामक दो सीट ऐसीं है जहां पर लाख कोशिश करने के बावजूद भाजपा का कमल अभी तक नही खिल पाया है। बागीदौरा के विधायक महेंद्रजीत मालवीय ने कांग्रेस से पाला बदल कर भाजपा जोईन कर ली है। उन्होने विधायक पद से त्याग पत्र दे दिया है। उनको भाजपा ने डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। जबकि दांतारामगढ़ विधानसभा से कांग्रेस विधायक वीरेन्द्र सिंह जीते हुये है। जो सीकर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
         
राजस्थान के जाट बेल्ट मे दलित व मुस्लिम के मतदाता भी अच्छी मात्रा मे है। जो चुनावों को प्रभावित करते रहे है। इस दफा दलित व मुस्लिम मतदाताओं का चुपचाप रहकर किसान मतदाताओं के साथ मतदान करने की सम्भावना जताई जा रही है। शेखावाटी की झुंझुनूं लोकसभा सीट से 1984 व 1991 मे केप्टन अय्यूब खा कांग्रेस के निसान पर जीतकर सांसद बने थे। राजस्थान मे एकमात्र अय्यूब खा ही है जो अबतक एक मात्र लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने है।
         
जाट बेल्ट मे विभिन्न मुद्दों व रालोपा-माकपा से गठबंधन के कारण बने सुखद माहोल का असर लगती सीट अलवर, जालौर-सिरोही व जयपुर ग्रामीण पर भी नजर आयेगा। अन्य सीटो पर गुर्जर-मीणा का गठजोड एवं उनपर सचिन पायलट का असर भी कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकता है। भाजपा निचे स्तर पर नेताओं की आपसी रस्साकशी व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उदासीनता व उनको पर्दे के पीछे धकेलने की भी चर्चा रहेगी।
          
उम्मीदवारी के पर्चे भरने की कल 27 मार्च आखिरी दिन है। पर सीकर मे इण्डिया गठबंधन के कामरेड अमरा राम की नामांकन सभा मे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व भाजपा के उम्मीदवार सुमेधानंद सरस्वती की नामांकन सभा मे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के आकर सभा को सम्बोधित करके एक तरह से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है।
              
  कुल मिलाकर यह है कि कांग्रेस के अशोकगहलोत व सचिन  पायलट मन से एकठ्ठा होकर चुनाव लड़े तो भाजपा को पच्चीस की पच्चीस सीटे जीतने से आसानी से रोका जा सकता है। वही भाजपा को अपने निचले स्तर के नेताओं के अंदरूनी झगड़ो को निपटाने के साथ वसुंधरा राजे फेक्टर को जनता के जेहन से निकालना होगा।

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