लखनऊ,
4 फरवरी 2024। अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा है
कि लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने के निर्णय से भारत रत्न की गरिमा
ही समाप्त हो गयी है। यह भविष्य में गाँधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को
भारत रत्न देकर अपने शर्मनाक अतीत पर लीपापोती करने के आरएसएस के प्रयासों
का हिस्सा है। आडवाणी जी का पूरा जीवन समाज का सांप्रदायिक विभाजन कराने
में बीता है जिसे किसी भी पुरस्कार से छुपाया नहीं जा सकता। आज जो नफ़रत का
माहौल है इसके सूत्रधार वही हैं।
कांग्रेस
मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आडवाणी जी
से पहले जितने भी लोगों को भारत रत्न मिला है उनमें से कोई भी दो समुदायों
के बीच तनाव बढ़ाने, दंगा कराने और हेट स्पीच का आरोपी नहीं रहा है और ना
ही किसी ने पाकिस्तान जा कर जिन्ना को सेकुलर नेता बताया था। आडवाणी जी को
भारत रत्न देकर सरकार ने जिन्ना और सावरकर के द्विराष्ट्रवाद के विभाजनकारी
सिद्धांत को सम्मानित किया है।
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए अडवाणी जी द्वारा निकाली गयी
यात्रा जहाँ से भी गुजरी वहाँ उनके नफ़रती भाषणों से हिंसा हुई थी। सरकार
ने उन्हें भारत रत्न देकर उस हिंसा में मारे गए हज़ारों लोगों के परिजनों
के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है।
उन्होंने
कहा कि बाबरी मस्जिद पर आस्था के आधार पर दिए गए फैसले में भी सुप्रीम
कोर्ट ने 6 दिसंबर की घटना को आपराधिक कृत्य बताया है। अगर बाबरी मस्जिद
विध्वंस की जाँच के लिए गठित लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट पर कार्यवाई की गयी
होती तो लाल कृष्ण अडवाणी को जेल हो गयी होती। ऐसे अपराध के दोषी को
सम्मानित करने से अपराधियों में यह संदेश जाएगा कि आप नफ़रत फैला कर भी
सम्मानित हो सकते हैं।
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