अल्पसंख्यक
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया
कि लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़,
देवीपाटन मंडलों के ज़िलों से राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर अपने गरीब लोगों को
मौत के मुंह में धकेलने से रोकने की मांग की गयी है।
उन्होंने
कहा कि युद्ध के समय भारत सरकार ने अमीर भारतीयों को इजराइल से विशेष
विमान से निकाल लिया लेकिन अब देश के गरीब लोगों को मजदूरी करने के लिए
वहाँ भेज रही है जबकि युद्ध पहले से और तेज़ हो गया है क्योंकि इसमें अब और
देश भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक हरकत है कि सरकार
अपने ही नागरिकों की ज़िंदगी की क़ीमत अमीरी और गरीबी के आधार पर लगा रही
है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा
कि भारत के अलावा दुनिया के किसी भी विकासशील देश से इजराइल ने मजदूरों की
मांग नहीं की है जिससे पता चलता है कि अब दुनिया के बाकी देश भी जान गए हैं
कि भारत की मौजूदा सरकार ने इतनी भयंकर गरीबी ला दी है कि लोग हर मिनट बम
और गोला गिरने वाले देशों में भी जान जोखिम में डाल कर मजदूरी करने जाने को
तैयार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से मोदी और योगी के देश और
प्रदेश के आर्थिक शक्ति बन जाने के दावों की भी पोल खुल गयी है क्योंकि
चीन, अमरीका या यूरोपीय देश जिनसे हमारी सरकारें प्रतिस्पर्धा करके हमें
विश्व गुरू बनना चाहती हैं उन्होंने अपने लोगों को इज़राइल मजदूरी करने
नहीं भेजा है और ना उनसे इज़राइल ने ही मजदूर भेजने की मांग की है।
शाहनवाज़
आलम ने कहा कि इससे यह संदेश भी जा रहा है कि भारत फ़िर से औपनिवेशिक दौर
की गरीबी से जूझ रहा है जब लोग वेस्ट इंडीज़ और मॉरीशस में गिर्मिटिया
मजदूर बन कर जाते थे। उन्होंने कहा कि योगी सरकार को आरएसएस और भाजपा से
जुड़े इजराइल समर्थक कार्यकर्ताओं को वहाँ मजदूरी करने भेजना चाहिये।
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