लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा व कांग्रेस की मेराथन बैठकें शुरू।
लोकसभा चुनाव मे राजस्थान मे भाजपा व कांग्रेस मे कड़ा मुकाबला हो सकता है।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
2014 के चुनाव मे कांग्रेस की दस साल की सरकार की भ्रष्टाचार
की छवि को लेकर देश मे बदलाव के तौर पर विकल्प के रुप मे मोदी को लाने व
2019 मे पुलवामा मामले को लेकर भाजपा के पक्ष मे बने जबरदस्त माहोल से
केंद्र मे भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनी थी।बेरोजगार -व युवा खासतौर पर
मोदी के समर्थक रहे थे। जो अब वो स्थिति नजर नही आ रही है। कांग्रेस का भी
अब पहले के मुकाबले अहंकार टूटने के चलते वो इण्डिया गठबंधन के अलग अलग
दलो से सीट बंटवारे को लेकर समझोता करने मे ढंग से दिलचस्पी दिखा रही है।
हाल ही मे हुये विधानसभा चुनाव मे राजस्थान की नागौर,
तारानगर, झूंझुनू, बायतू व पीलीबंगा सहित कुछ अन्य क्षेत्र मे प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने भाजपा उम्मीदवारो के समर्थन मे सभाए की थी। उनपर भाजपा
उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। जिनमे किसान नेता ज्योति मिर्धा व
राजपूत नेता राजेन्द्र राठौड़ शामिल है।खासतौर पर मेवाड़ मे कन्हैया लाल का
दर्दनाक हत्याकांड मामला चुनावों मे छाया रहा। जिसके कारण उस क्षेत्र मे
भाजपा को बडी बढत मिली है। जबकि जाट बेल्ट के तौर पर जाने वाले
बाडमेर-जैसलमेर से लेकर मारवाड़-शेखावाटी व बीकाणा मे कांग्रेस ने अच्छी
तादाद मे सीटे जीती है।इस क्षेत्र मे जाट के साथ मुस्लिम व एससी एसटी ने भी
बहुतायत मे कांग्रेस के पक्ष मे मतदान किया।
22-जनवरी को भगवान राम के राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर भाजपा
समर्थक राममय माहोल से वर्तमान मे पच्चीस की पच्चीस की लोकसभा सीट की तरह
आगामी चुनाव मे भी सभी सीट भाजपा की आने की मानकर चल रहे है। लेकिन स्थिति व
बनती परिस्थितियों के अनुसार राजस्थान की सीटो मे भाजपा व कांग्रेस मे
बंटवारा निश्चित होगा। मंत्रीमंडल को लेकर भी ओबीसी वर्ग ठगा महसूस कर रहा
है। वही इण्डिया गठबंधन का फायदा भी कांग्रेस को मिलता नजर आ रहा है।
हाल ही मे हुये विधानसभा चुनाव मे भाजपा को 200 मे से 115
सीट मिली है। बाकी 85 सीट पर भाजपा उम्मीदवार हारे हैः। विधानसभा चुनाव मे
मिले मतो के अनुसार पच्चीस सीटो मे से 14- सीटो पर भाजपा व 11 सीटो पर
कांग्रेस आगे रही है। जबकि इण्डिया गठबंधन के दलो को मिले मतो को मिलाएं तो
कांग्रेस भाजपा के नजदीक पहुंचती है। राजस्थान मे माकपा इण्डिया गठबंधन के
तहत कांग्रेस के साथ रहेगी। वहीं कांग्रेस अपने स्तर पर प्रदेश स्तरीय कुछ
अन्य दलो से भी समझोता करेगी। सपा के गठबंधन होने के कारण यादव मतो का भी
कांग्रेस को फायदा होगा। ओपीएस को लेकर कर्मचारियों का कांग्रेस की तरफ
सोफ्ट कार्नर है। जबकि भाजपा ने ओपीएस को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नही की
है। राजस्थान मे दीया कुमारी व वसुंधरा राजे के चुनाव को छोड़कर बाकी
अधीकांश विधानसभा क्षेत्र से कर्मचारियों के डाक मतो मे कांग्रेस आगे रही
है।
कुल मिलाकर यह है कि आगामी
लोकसभा मे भाजपा आधे से अधिक वर्तमान सांसद की टिकट बदल सकती है। वही
कांग्रेस भी नयै लोगो को उम्मीदवार बनाने की कवायद मे लग चुकी है।इण्डिया
गठबंधन के दल माकपा को समझोते के तहत सीकर या चूरु की सीट मिल सकती है।
कांग्रेस को इण्डिया गठबंधन से फायदा होगा।
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