पचास साल से दांतारामगढ़ विधानसभा पर चौधरी परिवार का कब्जा बरकरार।

 




 
            ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
           राजस्थान के कुछ राजनीतिक परिवार ऐसे है जिनका राजनीति मे पचास सालो से अधिक समय से कब्जा चला आ रहा है। लेकिन एक ही सीट पर पचास साल से अधिक समय से राजनीतिक रुप से कब्जे वाला चोधरी नारायण सिंह का मात्र एक परिवार है जो एक ही दांतारामगढ़ विधानसभा से कब्जा बरकरार रख रखा है। 1972 मे पहली दफी कांग्रेस की टिकट पर दांतारामगढ़ से विजयी चोधरी नारायण सिंह 1972-2013 तक के चुनाव स्वय कांग्रेस उम्मीदवार रहे फिर 2018 व 2023 मे उनके पूत्र वीरेंद्र सिंह विधायक विजयी हुये है।
               पंच-सरपंच व जिला प्रमुख से लेकर विधायक व राज्य सरकार मे मंत्री के अलावा कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का सफर तय करने वाले चौधरी नारायण सिंह का राज्य की राजनीति मे महत्वपूर्ण रोल एवं बेटै वीरेंद्र सिंह को विधायक बनाने मे रहा है।
                  हालांकि 1977 व 1990 मे थोड़े समय के लिये बनी जनता पार्टी व जनता दल सरकार के समय एवं 2008 के चुनाव मे चौधरी नारायण सिंह चुनाव हार गये थे। लेकिन इन्होंने अन्य नेताओं की तरह अपना क्षेत्र बदला नही। फिर अगला चुनाव भी यही से लड़े तो जनता ने फिर इनको विधायक बनाकर आशिर्वाद दिया।
           कांग्रेस की राजनीति मे चोधरी नारायण सिंह के उदय के बाद 1972-2013 तक कांग्रेस ने दांतारामगढ़ से चोधरी नारायण सिंह व उसके बाद 2018 व 2023 मे उनके पूत्र वीरेन्द्र पर भरोसा जताते हुये उम्मीदवार बनाया है। वीरेन्द्र सिंह दोनो चुनाव जीतने से पहले बहुत कम उम्र मे 2005 मे प्रधान भी रहे है।
                कुल मिलाकर यह है कि राजनीति मे केवल सादगी-सच्चाई -कर्तव्यनिष्ठा के साथ जनहित मे हमेशा मतदाताओं के मध्य सरलता से उपलब्धता ही किसी राजनेता को एक ही विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मे विजयी बनाने का काम क्षेत्र का मतदाता कर पाता है। वरना राजस्थान से अनेक दिग्गज नेताओ ने लम्बा सफर तो तय किया है। पर वो अपना विधानसभा क्षेत्र बदलते रहे है।

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