करणपुर उप चुनाव मे भाजपा को अपनी हार से सबक लेना चाहिये।



     करणपुर मे आज कांग्रेस उम्मीदवार रुपिंदर सिंह बारह हजार से अधिक मतो से जीते।
              ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
           आम विधानसभा चुनाव के मतदान के समय राजस्थान की जनता ने भाजपा के पक्ष मे मतदान करके परिणाम मे बहुमत देकर कुछ चेहरो मे से मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद मन मे पाल रखी थी। लेकिन भाजपा हाईकमान ने पर्ची के माध्यम से नये नवले विधायक को मुख्यमंत्री बना दिया। यह भाजपा की रणनीति रही होगी। लेकिन एक महीने मे हुये करणपुर विधानसभा के चुनाव मे अनेक तरह के जतन करने पर भी भाजपा उम्मीदवार वहां जीत नहीं पाया।
         आम चुनाव चलते करणपुर से कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत कुन्नर की मृत्यु होने पर चुनाव स्थगित हो गये थे। उसके बाद चुनाव आयोग द्वारा नई तारीख घोषित होने पर कांग्रेस ने स्वं गुरमीत कुन्नर के पूत्र रुपिंदर सिंह उर्फ रुबी को सहानुभूति मिलने की सम्भावना के चलते उम्मीदवार बनाया। वही भाजपा ने अपने उम्मीदवार सुरेन्द्र पाल टीटी को परम्पराओं को तोड़ते हुये चुनाव प्रचार चलते के मध्य सरकार मे मंत्री बनाकर लाभ लेने की कोशिश की। पर इसमे भाजपा असफल रही। ओर जनता ने बारह हजार से अधिक मतो से कांग्रेस उम्मीदवार रुबी को जीता कर भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया।
              राजनीति पर नजर रखने वालो का दावा है कि आम चुनाव के समय भाजपा व कांग्रेस के मुकाबले करणपुर मे आम आदमी पार्टी उम्मीदवार की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही थी। लेकिन चुनाव चलते कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत की मृत्यु के कारण चुनाव स्थगित हो गये। उसके बाद अब रुपिंदर सिंह को सहानुभूति के चलते काफी लाभ हुवा। ओर वो भाजपा उम्मीदवार को हरा कर विधायक बन गये।
                   कुल मिलाकर यह है कि पंजाब के लगते राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की सिक्ख बहुल करणपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार की हार के बाद भाजपा हाईकमान को सोचना होगा। भाजपा को अपनी क्षेत्रीय मजबूत लीडरशिप को फिर से आगे करने पर सोचना होगा। वरना लोकसभा चुनाव मे भाजपा को कुछ नुकसान हो सकता है।

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