राजस्थान की विधानसभा मे सिंधी मुस्लिम विधायको का प्रतिनिधित्व जीरो हुवा।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
चुनावी इतिहास शुरू होने से लेकर पिछले चुनाव तक मारवाड़
मे प्रमुख रुप से रहने वाली सिंधी मुस्लिम बिरादरी से हमेशा किसी ना किसी
दल स्वतंत्र पार्टी-लोकदल-जनता दल व कांग्रेस से चुनाव जीतकर विधानसभा मे
प्रतिनिधित्व करते रहने को 2023 मे बडा झटका लगा है कि उनका एक भी विधायक
नही बन पाया है। 2018 के विधानसभा चुनाव मे शिव से आमीन खा व पोकरण से शाले
मोहम्मद विधायक बने थे। जिनमे शाले मोहम्मद सरकार मे मंत्री थे।
कांग्रेस ने अभी सूरसागर, पोकरण व शिव से सिंधी मुस्लिम को
उम्मीदवार बनाया जो तीनो ही उम्मीदवार जीत नही पाये। तीनो ही उम्मीदवारों
के हारने की बडी वजह अपनो की नाराजगी रही बताते है।
सिंधी मुस्लिम की तरह ही अलवर-भरतपुर मे रहने वाली मेव
बिरादरी को भी इस चुनाव मे बडा झटका लगा है। 2023 मे कामा, नगर, तिजारा व
रामगढ़ से कांग्रेस ने मेव बिरादरी के नेताओं को टिकट दिया।जिनमे से केवल
जुबैर खान चुनाव जीत पाये है। जबकि 2018 मे सफिया, वाजिब अली व जाहिदा
विधायक थे। जिनमे जाहिदा सरकार मे मंत्री थी। यहां भी अपनो ने दर्द दिया
बताते।
सिंधी मुस्लिम व मेव बिरादरी की
तरह शेखावाटी मे रहने वाली कायमखानी बिरादरी इस चुनाव मे कुछ हद तक फायदे
मे रहकर खोई हुई प्रतिष्ठा फिर कायम की है। 2018 के चुनाव मे फतेहपुर से
जीते विधायक हाकम अली को कांग्रेस ने फिर टिकट दिया ओर चुनाव जीतकर फिर
विधायक बन गये है। डीडवाना से भाजपा की टिकट नही मिलने पर यूनुस खान ने
निर्दलीय चुनाव लड़ा ओर चुनाव जीत गये। यानि कायमखानी एक से दो विधायक हो
गये।
राजस्थान के अलग अलग क्षेत्र मे रहने
वाली उक्त तीनो बिरादरी मुख्य रुप से देहाती परिवेश वाली बिरादरी कहलाती
है। सिंधी मुस्लिम पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाके बाडमेंर, जैसलमेर, जोधपुर व
बीकानेर जिले मे व मेव हरियाणा-यूपी की सीमाओं के नजदीक अलवर-भरतपुर जिलो
मे रहती है। कायमखानी प्रमुख रुप से शेखावाटी रीजन व डीडवाना -कुचामन जिलो
मे रहते है।
कुल मिलाकर यह है कि
2023 के विधानसभा चुनाव मे पहली दफा सिंधी मुस्लिम विधानसभा से बाहर रहेगे
जबकि मेव एक मात्र विधायक रहेगा। कायमखानी पहले भी दो दो विधायक रह चुके
है। कभी भंवरु खा व रमजान खा, तो कभी भंवरु खा व युनुस खा साथ साथ विधायक
रहे है।
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