शेखावाटी मे कांग्रेस का पलड़ा भारी रह सकता है। - राजेन्द्र राठौड़ व गोविंद डोटासरा चुनाव हार सकते है।

 



            ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
          ..2018 के विधानसभा चुनाव मे शेखावाटी की कुल इक्कीस सीट मे से तीन भाजपा एक बसपा व एक निर्दलीय उम्मीदवार को छोड़कर बाकी सोलह सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारो ने जीत दर्ज की थी। 2018 के मुकाबले 2023 के चुनाव मे कांग्रेस की कम व भाजपा की सीट बढ सकती है।
                       उम्मीदवारों की घोषणा के समय कांग्रेस की स्थिति कमजोर मानी जा रही थी। लेकिन धीरे धीरे कांग्रेस ने अपनी स्थिति मे सुधार किया है। जबकि भाजपा के नेता राजेन्द्र राठौड़ तारानगर से व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा लक्ष्मनगढ से चुनाव हार रहे है।
                        पीछले विधानसभा चुनाव मे भाजपा ने रतनगढ़, चूरु व सुरजगढ़ की सीट एवं बसपा ने उदयपुरवाटी सीट जीती थी। खण्डेला से निर्दलीय महादेव सिंह ने चुनाव जीता है। सीकर की आठ सीटो मे से भाजपा ने एक भी सीट नही जीती थी। पर अब समीकरण बदले बदले नजर आ रहे है। सीकर जिले की लक्ष्मनगढ व श्रीमाधोपुर सीट भाजपा के खाते मे व धोद सीट माकपा के खाते मे जाती नजर आ रही है। फतेहपुर, नीमकाथाना व दांतारामगढ़ कांग्रेस के खाते मे जाती नजर आ रही है। सीकर मे निर्दलीय उम्मीदवार ताराचंद धायल के वोट प्रतिशत लेने पर चुनाव परिणाम प्रभावित होगा। वेसे कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। खण्डेला मे भाजपा कांग्रेस का मुकाबला है। पर निर्दलीय उम्मीदवार बंशीधर बाजिया को मिलने वालो वोटो की तादात भाजपा उम्मीदवार का भविष्य तय करेंगे।
   

           
 झूंझुनू से कांग्रेस व मण्डावा- उदयपुर वाटी से भाजपा जीत रही है। नवलगढ़ मे भाजपा भारी एवं जिले की अन्य सीटो पर कड़ा मुकाबला है। चुरु मे सुजानगढ़ व चूरु मे कांग्रेस व रतनगढ़ मे भाजपा जीत सकती है। राजगढ़ मे त्रिकोणीय मुकाबले मे बसपा आगे एवं तारानगर मे कांग्रेस भारी लग रही है।
               
शेखावाटी से कांग्रेस व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बनकर जिन्होंने चुनाव लडा वो सभी अपने चुनाव हारे है। कांग्रेस के सरदार हरलाल सिंह, रामनारायण चोधरी, डा. चंद्रभान  ने विधानसभा व चोधरी नारायण सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने पर हार का मजा चका है। 1979 मे भाजपा के जगदीश प्रसाद माथुर भी प्रदेशाध्यक्ष रहते लोकसभा चुनाव लड़ा तो चुनाव हारे। वर्तमान मे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी लक्ष्मनगढ से विधानसभा चुनाव लड़ रहे है। जो चुनाव हार रहे है।
                
   कुल मिलाकर यह है कि 2018 के मुकाबले भाजपा 2023 मे अच्छा करती नजर आ रही है। कांग्रेस फिर भी भाजपा पर भारी पड़ सकती है। अगर अशोक गहलोत व सचिन पायलट इमानदारी से मिलकर चुनाव प्रचार करे तो माली व गुर्जर मतो का झुकाव कांग्रेस की तरफ होने पर कांग्रेस अच्छा कर सकती है। लेकिन निचे के स्तर पर दोनो नेताओं के समर्थकों मे दरार देखी जा रही हैः


 

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