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जानिए क्या है धारा 420 जिसके तहत आज़म खान परिवार को मिली 7 साल की सजा



IPC की धारा 420 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 420 का ऐतिहासिक संदर्भ औपनिवेशिक युग से जुड़ा है। आईपीसी का मसौदा 1860 में भारत के ब्रिटिश शासन के दौरान तैयार किया गया था, और धारा 420 इस मूल संहिता का एक हिस्सा थी। इस धारा का उद्देश्य धोखाधड़ी और धोखाधड़ी के प्रचलित मुद्दे को उठाना था, जो समाज के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर रहा था। जो कोई भी धोखा देता है और बेईमानी से धोखेबाज व्यक्ति को किसी भी संपत्ति को लेने या देने के लिए प्रेरित करता है तो वहां धारा 420 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

धारा 420 कौन-कौन से जुर्म पर लगती है?

किसी भी धारा का किसी न किसी जुर्म से संबंध होता है, धारा 420 इन जुर्म पर लगाई जाती हैः

  • झूठ बोलने पर। 
  • किसी के साथ छल करके खुद का फायदा देखने पर।
  • जब कोई झूठ बोलकर लाभ लेने की कोशिश करे। 
  • किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को धोखा देने या उसके साथ बेईमानी करने पर।
  • किसी भी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति को धोखा देने के लिए प्रेरित करने पर।
  • किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को बेईमानी या धोखाधड़ी से हड़पने पर।
  • फर्जीवाड़ा करने पर।
  • फर्जी साइन किसी प्रकार की गतिविधियों को अंजाम देने पर।
  • किसी भी व्यक्ति को उकसाने पर।
  • बड़े पदों पर होने का फर्जीवाड़ा और लोगों को धोखा देने पर।
  • बाजार में नकली उत्पादों को बेचने पर।

धारा 420 के अंदर सजा का प्रावधान क्या है?

इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 के तहत 7 साल तक की सजा का प्राविधान है। धारा 420 के अंतर्गत सजा के साथ ही जुर्माना भरने का प्राविधान है। शिकायत पर अपराधी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे थाने से जमानत नहीं मिलती है और उसे अदालत ही जाना पड़ता है। इस तरह के मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट की अदालत में होती है।


  • अगर किसी भी व्यक्ति पर धारा 420 लगाई गई है तो 7 साल की जेल की सजा मिलेगी, लेकिन कोर्ट जुर्म के हिसाब से सजा कम कर सकता है।
  • मजिस्ट्रेट के द्वारा धारा 420 के तहत सजा तय की जाती है।
  • कारावास के दंड के साथ ही जुर्माना भी लगता है, लेकिन जज द्वारा इसे कम किया जा सकता है या फिर माफ भी किया जा सकता है।
  • गिरफ्तारी होने पर सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन किया जा सकता है। 
  • धारा 420 के अपराध में आरोप की गंभीरता पर ही जमानत मिलती है और विचार किया जाता है।
  • धारा 420 से बचने के लिए कभी भी फर्जीवाडा़ न करें और धोखाधड़ी कर वस्तु हासिल न करें। 

आज़म खान, बीवी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला – सबको 7-7 साल की सज़ा

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान, उनके बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम और आजम खान की बीवी पूर्व सांसद तंजीम फातिमा को 7-7 साल की सज़ा सुनाई गई है। रामपुर की MP-MLA अदालत ने तीनों को दोषी माना है और सज़ा का ऐलान किया है। तीनों  को सीधे जेल ले जाए जाने का आदेश दिया है। अब्दुल्ला आजम ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर स्वार विधानसभा सीट से साल 2017 में चुनाव जीता था, क्योंकि चुनाव के समय उनकी उम्र पूरी नहीं हुई थी। उन पर 2 जन्म प्रमाण पत्र रखने के आरोप हैं।

 

2 जन्म प्रमाण पत्र रखने का आरोप

जानकारी के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम ने साल 2017 में जिस जन्म प्रमाण के आधार पर चुनाव लड़ा था, उसमें उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 दर्शाई गई थी। ये जन्म प्रमाण लखनऊ से साल 2015 में जारी किया गया था। वहीं, दूसरे जन्म प्रमाण पत्र को रामपुर से साल 2012 में जारी किया गया था। उस जन्म प्रमाण पत्र में उनका जन्मदिन 1 जनवरी, 1993 दिखाया गया है, शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी यही जन्म तिथि दर्शाई गई थी।

रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र में उनका जन्मस्थान रामपुर बताया गया है, जबकि लखनऊ से जारी जन्म प्रमाण पत्र में उनका जन्म स्थान लखनऊ दिखाया गया था।

दो बार रद्द हुई विधानसभा की सदस्यता

इस मामले में भाजपा नेता आकाश सक्सेना की ओर से गंज कोतवाली में 3 जनवरी, 2019 को मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस केस के बाद 16 दिसंबर 2019 को अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता चली गई थी, लेकिन साल 2022 में उन्होंने फिर से स्वार विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की। इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने इसी साल उन्हें एक दूसरे मामले में दोषी पाया और फिर से उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। और अब इस मामले में कोर्ट ने 7-7 की सजा तीनों लोगों को सुनाई है। 

रिवीजन दाखिल किया, लेकिन रिजेक्ट किया गया

इस मामले में 16 अक्टूबर को आजम परिवार को कोर्ट ने झटका दिया था। आजम फैमिली की तरफ से इस मामले में समय माँगा गया था और रिवीजन दाखिल किया गया था। इस मामले में रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने एडीजे फर्स्ट कोर्ट को सुनवाई के लिए कहा था, लेकिन कोर्ट ने इस रिवीजन को निरस्त कर दिया था। इसके बाद अब एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सज़ा सुनाई है।

आजम खान की भी विधायकी जा चुकी, हो चुकी है सजा

आजम खान को अब तक दो मामलों में सज़ा हो चुकी है। दिसंबर 2022 में उन्हें कोर्ट ने तीन साल की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी। इस साल की शुरुआत में रामपुर की सीट पर आकाश सक्सेना ने उपचुनाव में जीत हासिल की और पहली बार रामपुर विधानसभा सीट पर कोई हिंदू विधायक बना। आकाश सक्सेना की ही शिकायत पर अब आजम खान, अब्दुला आजम और तंजीम फातिमा को सात-सात साल की सजा सुनाई गई है।

 

 

 

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